Saturday, December 27, 2025

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‘प्रधानमंत्री की हार, भारत की हार है’: विदेश नीति पर शशि थरूर का बड़ा बयान; कहा- कूटनीति किसी एक दल की जागीर नहीं

नई दिल्ली: अपनी बेबाक बयानबाजी और अंतरराष्ट्रीय मामलों की गहरी समझ के लिए जाने जाने वाले कांग्रेस सांसद और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने देश की विदेश नीति को लेकर एक बड़ा और परिपक्व बयान दिया है। थरूर ने स्पष्ट रूप से कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर जब देश के प्रधानमंत्री की बात आती है, तो वे केवल एक दल के नेता नहीं बल्कि पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि विदेश नीति किसी विशेष राजनीतिक दल की नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की होती है।

राष्ट्रहित सर्वोपरि: दलगत राजनीति से ऊपर विदेश नीति

एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए शशि थरूर ने कहा कि घरेलू राजनीति में भले ही हमारे विचार अलग हों, लेकिन जब बात विदेशी धरती और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की आती है, तो भारत को एक स्वर में बोलना चाहिए।

  • प्रधानमंत्री का सम्मान: थरूर ने कहा, “अगर विदेश में प्रधानमंत्री की हार होती है या उनकी आलोचना होती है, तो वह केवल उनकी व्यक्तिगत हार नहीं बल्कि पूरे भारत की हार मानी जाती है।”
  • साझा विरासत: उन्होंने तर्क दिया कि भारत की विदेश नीति दशकों के अनुभव और राष्ट्रीय सहमति पर आधारित है, इसे किसी चुनाव या सरकार बदलने के साथ पूरी तरह नहीं बदला जाना चाहिए।

वैश्विक मंच पर एकता की अपील

थरूर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच अक्सर मतभेद देखे जाते हैं। उन्होंने कहा:

  • कूटनीति का चेहरा: विदेश नीति में निरंतरता जरूरी है क्योंकि दूसरे देश भारत को एक इकाई के रूप में देखते हैं, न कि ‘बीजेपी’ या ‘कांग्रेस’ के रूप में।
  • विपक्ष की भूमिका: उन्होंने याद दिलाया कि अतीत में भी भारतीय लोकतंत्र की यह परंपरा रही है कि महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं।

चीन और पड़ोसियों के संदर्भ में संदेश

माना जा रहा है कि थरूर का यह बयान सीमा विवाद और पड़ोसी देशों के साथ चल रही कूटनीतिक तनातनी के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने संकेत दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के मामलों में विपक्ष सरकार के साथ है, भले ही वह नीतियों के क्रियान्वयन (Implementation) पर सवाल उठाता रहे।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा

शशि थरूर के इस बयान की राजनीतिक गलियारों में जमकर सराहना हो रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि थरूर ने एक ‘स्टेट्समैन’ (राजनेता) की तरह व्यवहार करते हुए यह संदेश दिया है कि लोकतांत्रिक मतभेदों के बावजूद राष्ट्रहित के मुद्दों पर पूरा देश एकजुट है।

मुख्य बिंदु: > “हमारी सरहद के बाहर जो भी होता है, वह हम सबके सम्मान से जुड़ा है। विदेश नीति राष्ट्रीय संपत्ति है, इसे चुनावी लाभ-हानि के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।” – शशि थरूर

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