देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छात्र-छात्राओं और युवाओं का आह्वान किया है कि वे पुस्तकों को केवल परीक्षा पास करने का जरिया न समझें, बल्कि उन्हें अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं। एक शैक्षणिक कार्यक्रम के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने ज्ञान की महत्ता पर जोर दिया और कहा कि पुस्तकें ही मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र और मार्गदर्शक होती हैं।
ज्ञानार्जन को बताया निरंतर चलने वाली प्रक्रिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान दौर में छात्र अक्सर केवल डिग्री और अच्छे अंकों के लिए पढ़ाई करते हैं, जिससे उनका वास्तविक बौद्धिक विकास बाधित होता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वास्तविक शिक्षा वह है जो व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करे और उसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करे।
- पठन संस्कृति का विकास: उन्होंने अभिभावकों और शिक्षकों से आग्रह किया कि वे बच्चों में बचपन से ही किताबें पढ़ने की आदत विकसित करें।
- व्यक्तित्व विकास: सीएम के अनुसार, महान विभूतियों की जीवनियां और प्रेरणादायक साहित्य युवाओं के व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
डिजिटल युग में किताबों की अहमियत
आज के डिजिटल युग का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मोबाइल और इंटरनेट के दौर में भी किताबों का महत्व कम नहीं हुआ है। स्क्रीन के बजाय किताबों से मिलने वाला ज्ञान अधिक गहरा और स्थायी होता है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे दिन भर में कम से कम कुछ समय अपनी पाठ्यपुस्तकों के अलावा अन्य ज्ञानवर्धक सामग्री पढ़ने के लिए जरूर निकालें।
शिक्षण संस्थानों को सुझाव
मुख्यमंत्री ने शिक्षण संस्थानों को भी सुझाव दिया कि वे पुस्तकालयों (Libraries) को आधुनिक और आकर्षक बनाएं ताकि छात्र वहां बैठने और पढ़ने के लिए प्रेरित हों। उन्होंने कहा कि “विद्या ददाति विनयम” के सिद्धांत पर चलते हुए शिक्षा को केवल व्यावसायिक नहीं, बल्कि संस्कारवान होना चाहिए।
सीएम धामी का कथन: “एक अच्छी पुस्तक सौ मित्रों के बराबर होती है। यदि हम अपने जीवन में पुस्तकों से प्राप्त ज्ञान को उतार लें, तो सफलता के द्वार अपने आप खुल जाते हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम जीवन भर एक छात्र बनकर नया सीखने की ललक बनाए रखें।”





