रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के संभावित भारत दौरे को लेकर राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों, वैश्विक तनावों और बहुपक्षीय समीकरणों के बीच पुतिन की यह यात्रा दोनों देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दौरे से भारत–रूस संबंधों में नई दिशा और गति मिलने की संभावना है।
इसी बीच पूर्व विदेश सचिव ने भी पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस बार बातचीत का एजेंडा केवल पारंपरिक रक्षा सहयोग तक सीमित नहीं रहेगा। उनके अनुसार, दोनों देश कई नए क्षेत्रों पर चर्चा करने जा रहे हैं, जिनमें ऊर्जा सुरक्षा, उभरती तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अंतरिक्ष सहयोग, साइबर सुरक्षा और व्यापार संरचना को नई मजबूती देना शामिल हो सकता है।
पूर्व विदेश सचिव ने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं, लेकिन मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों में दोनों देशों के सामने नई चुनौतियाँ और नए अवसर पैदा हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस यात्रा के दौरान दोनों नेता बदलते वैश्विक क्रम में सहयोग के नए मॉडल पर विचार कर सकते हैं, खासकर ऐसे समय में जब दुनिया बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है।
भारत–रूस व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक ले जाने के लक्ष्य, भुगतान प्रणाली में सुधार, शिपिंग मार्गों को सरल बनाने और फार्मा, कृषि, खनन तथा उच्च तकनीक क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं पर भी चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस के साथ ऊर्जा आयात, रक्षा निर्माण और विज्ञान–प्रौद्योगिकी सहयोग को मजबूत करने पर भारत विशेष जोर देगा।
पूर्व विदेश सचिव के अनुसार, पुतिन की भारत यात्रा यह संकेत देगी कि दोनों देश मौजूदा अंतरराष्ट्रीय दबावों और प्रतिबंधों के बावजूद अपनी रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत और रूस अपने संबंधों को सिर्फ परंपरा के आधार पर नहीं बल्कि आधुनिक वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने पर भी ध्यान देंगे।
कुल मिलाकर, पुतिन के भारत दौरे को लेकर बढ़ती हलचल ने दोनों देशों के संबंधों के भविष्य को लेकर उत्सुकता बढ़ा दी है। अब देखना होगा कि यह यात्रा भारत–रूस सहयोग को कितनी नई ऊँचाइयाँ देती है और किन नए क्षेत्रों में साझेदारी का विस्तार होता है।





