Tuesday, December 30, 2025

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‘एंटीबायोटिक से बढ़ रही खामोश महामारी’: पीएम मोदी की सलाह को एक्सपर्ट्स ने बताया समय की जरूरत

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बढ़ते ‘एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस’ (AMR) को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। पीएम ने इसे एक “खामोश महामारी” करार देते हुए देशवासियों को बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से बचने की नसीहत दी है। चिकित्सा विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री के इस आह्वान का स्वागत करते हुए इसे आधुनिक चिकित्सा के अस्तित्व के लिए अनिवार्य बताया है।

क्या है AMR और यह क्यों है खतरनाक?

विशेषज्ञों के अनुसार, जब हम बिना जरूरत के या अधूरा कोर्स छोड़कर एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं, तो शरीर में मौजूद बैक्टीरिया उन दवाओं के खिलाफ लड़ने की क्षमता विकसित कर लेते हैं। इसे ही ‘एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस’ कहा जाता है। परिणाम स्वरूप, भविष्य में साधारण संक्रमण होने पर भी दवाएं बेअसर हो जाती हैं, जिससे मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है।

पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में दी चेतावनी

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में तीन प्रमुख बातों पर जोर दिया:

  1. सेल्फ-मेडिकेशन पर रोक: छोटी-मोटी बीमारियों जैसे सर्दी-जुकाम में खुद से दवा न लें।
  2. पूरा कोर्स अनिवार्य: डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा का कोर्स बीच में न छोड़ें।
  3. लाल लकीर (Red Line) का ध्यान: दवाओं के पत्ते पर बनी ‘रेड लाइन’ का मतलब है कि इसे बिना डॉक्टर के पर्चे के नहीं लिया जाना चाहिए।

एक्सपर्ट्स की राय: “अब नहीं संभले तो बहुत देर हो जाएगी”

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ‘दुनिया की फार्मेसी’ होने के साथ-साथ एंटीबायोटिक के गलत इस्तेमाल का केंद्र भी बनता जा रहा है।

  • दवाओं का असर कम होना: कई अस्पतालों में देखा गया है कि ‘लास्ट-रिसॉर्ट’ (अंतिम विकल्प) मानी जाने वाली एंटीबायोटिक भी अब मरीजों पर काम नहीं कर रही हैं।
  • सर्जरी में बढ़ता जोखिम: यदि एंटीबायोटिक काम करना बंद कर देंगी, तो कीमोथेरेपी, अंग प्रत्यारोपण और सामान्य सर्जरी भी जानलेवा बन सकती हैं क्योंकि संक्रमण को रोकना असंभव हो जाएगा।

प्रशासनिक कदम और जागरूकता

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सरकार को फार्मेसी स्टोरों पर दवाओं की बिक्री की निगरानी और सख्त करनी चाहिए। साथ ही, पशुपालन और कृषि क्षेत्र में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने की जरूरत है, क्योंकि वहां से भी ये दवाएं खाद्य श्रृंखला के जरिए इंसानों तक पहुंच रही हैं।

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