बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की परेशानियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। देश में जारी राजनीतिक तनाव और कानूनी मामलों के बीच एक और बड़ा झटका तब लगा जब अदालत ने उन्हें एक पुराने भ्रष्टाचार मामले में 21 साल की सजा सुनाई। इस फैसले ने बांग्लादेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।
अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि हसीना पर लगे आरोपों के पर्याप्त सबूत पाए गए, जिनके आधार पर यह सजा तय की गई है। आरोपों के अनुसार, उनके कार्यकाल के दौरान एक सरकारी परियोजना में अनियमितताएँ हुई थीं और भारी रकम का दुरुपयोग किया गया था। अदालत ने इसे रिश्वत, सत्ता के दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में माना।
शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग ने इस फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। उनका कहना है कि मौजूदा सरकार न्यायिक प्रक्रियाओं का दुरुपयोग कर विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। पार्टी नेताओं ने फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने की घोषणा भी की है। दूसरी ओर, सरकारी पक्ष का कहना है कि यह कार्रवाई कानून के अनुसार हुई है और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति के तहत कदम उठाया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला देश की राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है। हसीना बांग्लादेश की प्रमुख राजनेताओं में से एक रही हैं और लंबे समय तक सत्ता में रहने के बाद आज भी उनकी लोकप्रियता का बड़ा आधार मौजूद है। ऐसे में उनके खिलाफ आए इस निर्णय से राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव संभव है।
फैसले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में अतिरिक्त तैनाती कर दी है, क्योंकि समर्थकों की ओर से विरोध प्रदर्शनों की आशंका जताई जा रही है। अदालत का यह आदेश आने वाले महीनों में बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति को और अधिक अस्थिर कर सकता है।





