Thursday, December 25, 2025

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नए जन्मे लॉन बाल को उत्तराखंड में मिलेगा भरपूर लाड

जिस तरह से उत्तराखंड ने राष्ट्रीय खेलों की लॉन बाल प्रतियोगिता में पहली बार हिस्सा लेकर पदकों की झड़ी लगाई है, उसके बाद यह खेल राज्य सरकार की आंखों का तारा बन गया है। एक तरफ से भारी बाल को संतुलन और सटीकता के साथ लक्ष्य तक पहुंचाने के खेल में राज्य के प्रदर्शन को देखते हुए सरकार और खेल निदेशालय ने लॉन बाल पर भरपूर प्यार लुटाने का फैसला किया है।महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम में लॉन बाल के लिए बनाए गए विशेष घास के ग्राउंड को खेलों के बाद भी मेंटेन रखा जाएगा। साथ ही खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए पूरे साल बेहतरीन कोच उपलब्ध कराने का आदेश जारी होगा। इस खेल में पहली बार हिस्सा लेकर उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने विभिन्न श्रेणियों में अन्य राज्यों के 10 से 12 साल अनुभवी खिलाड़ियों को मात दी है।दिलचस्प है कि राज्य के लिए स्वर्ण जीतने वाले उत्कृष्ट ने सिर्फ दो महीने पहले गूगल पर खेल की तकनीक के बारे में पढ़ा, फिर थोड़े समय के अभ्यास में असम के बेहतरीन खिलाड़ी को मात देकर स्वर्ण जीत लिया। इसी तरह पौड़ी के एक गांव से आकर पहली बार नेशनल खेल रही चंद्र योगिता ने कांस्य जीता। युगल मुकाबले में उत्तराखंड के उत्सव और अभिषेक ने भी कांस्य लपक लिया।
लॉन बाल के डायरेक्टर ऑफ कंपटीशन (डीओसी) विश्वनाथ पाई ने कहा कि वह तीसरी बार राष्ट्रीय खेलों में लॉन बाल प्रतिस्पर्धा के डीओसी हैं। इससे पहले गुजरात, गोवा और केरल में कंपटीशन हुए, लेकिन उसके बाद मैदान मेंटेन नहीं हो पाए। 38वें राष्ट्रीय खेल में लॉन बाल के लिए उत्तराखंड सरकार ने बहुत अच्छे इंतजाम किए हैं। कोच पूरे साल उपलब्ध रहें तो राज्य के खिलाड़ियों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की संभावनाएं हैं। लॉन बाल में विदेशी घास का रखरखाव सबसे अहम है, उसकी कटिंग, रोलिंग आदि महंगी पड़ती है।

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