विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने वक्फ विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को अलग-अलग धर्मों की संपत्तियों के नियंत्रण एवं प्रबंधन के लिए समान कानून बनाने की मांग की है। संगठन ने अध्यक्ष आलोक कुमार के माध्यम से समिति को भेजे गए पत्र में मुसलमानों के लिए अलग वक्फ कानून बनाने पर सवाल उठाते हुए इसे असांविधानिक करार दिया है। विहिप ने कहा है कि जिस तरह वक्फ को समर्पित कोई संपत्ति सर्वशक्तिमान की संपत्ति बन जाती है, उसी प्रकार मंदिरों के रखरखाव और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए हिंदू धर्म में देवताओं को चल-अचल संपत्ति समर्पित की जाती है। ईसाई, बौद्ध, सिख और जैन में भी ऐसा ही होता है। फिर धर्मार्थ उद्देश्यों से वक्फ को दान की गई संपत्ति के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए अलग कानून क्यों होना चाहिए? विहिप ने संविधान के अनुच्छेद 44 में सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने के आह्वान की याद दिलाते हुए इस मामले में भी समान कानून लागू करने की मांग की है।पत्र में निजी विधेयक के जरिये वक्फ अधिनियम 1954 को लागू करने पर भी सवाल उठाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि मोहम्मद अहमद काजी ने निजी विधेयक के रूप में इसे पेश किया। हालांकि सरकार ने विधेयक को न सिर्फ प्रवर समिति को भेजा, बल्कि आश्चर्यजनक तरीके से तत्कालीन कानून मंत्री सीसी बिस्वास को समिति का अध्यक्ष बना दिया। विहिप ने कहा कि इस विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान बिस्वास ने कहा था कि सरकार का इरादा ऐसा कानून लाने का है, जो सभी तरह के धर्मों के दान पर लागू होगा। हालांकि, ऐसा नहीं किया गया।