धर्मांतरण सिंडिकेट के कथित मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार सुबह बड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के बलरामपुर और महाराष्ट्र के मुंबई में कुल 14 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की।
ईडी की टीम ने बलरामपुर के मधपुर और उतरौला नगर समेत 12 स्थानों पर और मुंबई के बांद्रा और माहिम में 2 ठिकानों पर रेड डाली। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग की दिशा में दर्ज ईसीआईआर (Enforcement Case Information Report) के तहत की गई।
40 बैंक खातों में 106 करोड़ रुपये
ईडी को जांच में पता चला है कि छांगुर के करीब 40 बैंक खातों में लगभग ₹106 करोड़ की संदिग्ध धनराशि है, जिसमें से अधिकांश फंड मिडिल ईस्ट देशों से भेजे गए हैं। छांगुर के सहयोगी नवीन से 2 करोड़ रुपये की राशि मुंबई निवासी शहजाद शेख के खातों में ट्रांसफर की गई थी, जिसके बाद शेख के आवासों पर भी छापेमारी की गई।
धर्मांतरण का संगठित नेटवर्क
जांच एजेंसियों का दावा है कि छांगुर और उसकी पत्नी नीतू उर्फ नसरीन—जो पहले ही जेल में हैं—ने आर्थिक रूप से कमजोर, अनुसूचित जातियों और हिन्दू समुदाय के लोगों को संगठित रूप से धर्मांतरण के लिए प्रेरित, प्रभावित और मजबूर किया। इस मिशन को धार्मिक चोले में छिपाकर विदेशी फंडिंग के सहारे चलाया जा रहा था।
भिखारी से ‘पीर’ बनने की कहानी
छांगुर की शुरुआत एक साधारण भिखारी के रूप में हुई थी। बाद में वह मुंबई चला गया और वहां खुद को ‘पीर बाबा’ बताकर प्रचारित करने लगा। इसी दौरान नवीन रोहरा (अब जमालुद्दीन) और उसकी पत्नी नीतू रोहरा (अब नसरीन) ने उससे संपर्क किया और पूरे परिवार के साथ धर्म बदल लिया।
मुंबई से लौटने के बाद छांगुर ने अपने गांव में दो बार ग्राम प्रधान का चुनाव जीतकर प्रभाव बढ़ाया और एक दरगाह के समीप अपनी स्थायी उपस्थिति स्थापित कर ली। दूर-दराज से लोग ‘बाबा’ से मिलने आने लगे, और यहीं से धर्मांतरण का जाल बिछाया गया।