राजधानी देहरादून में मेट्रो लाइट और नियो मेट्रो की जगह अब बाई-आर्टिकुलेटेड इलेक्ट्रिक बसें चलाने की तैयारी है। उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूकेएमआरसी) ने इसके लिए स्विट्जरलैंड की कंपनी एचईएसएस से करार किया है। कंपनी ने शहर के ट्रैफिक दबाव और यात्रियों की जरूरतों को देखते हुए विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार की है, जिसे अगले महीने शासन के सामने पेश किया जाएगा।
क्या है नया प्लान
इस बस प्रणाली के तहत शुरुआत में दो कॉरिडोर बनाए जाएंगे—
- आईएसबीटी से गांधी पार्क (5 किमी, 10 स्टेशन)
- एफआरआई से रायपुर (9 किमी, 15 स्टेशन)
इनसे सीधे तौर पर 42 वार्डों की करीब 40% आबादी को कवर किया जा सकेगा। बाद में विक्रम, मैजिक और अन्य लोकल ट्रांसपोर्ट को जोड़कर सेवाएं 75% आबादी तक पहुंचाई जाएंगी।
खासियत
- यह बसें बैटरी से संचालित होंगी और तेजी से चार्ज होने की सुविधा (फ्लैश चार्जिंग) से लैस होंगी।
- दो कोच जुड़कर एक बस बनती है, जिससे अधिक यात्रियों को ले जाया जा सकेगा।
- इनकी औसत गति 30–40 किमी/घंटा होगी।
- प्रणाली पूरी तरह इलीवेटेड कॉरिडोर पर चलेगी और स्टेशन आधुनिक होंगे।
- संचालन सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल होगा।
लागत और तुलना
यूकेएमआरसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रणाली मेट्रो से सस्ती लेकिन रोपवे से महंगी होगी। खर्च नियो मेट्रो से भी अधिक माना जा रहा है, हालांकि रखरखाव की लागत मेट्रो और नियो दोनों से कम होगी।
देहरादून में 2019 में मेट्रो लाइट, 2020 में रोपवे और 2022 में नियो मेट्रो की डीपीआर तैयार की गई थी। लेकिन केंद्र सरकार ने मई 2025 में नियो मेट्रो के प्रस्ताव को यह कहकर लौटा दिया कि शहर का यातायात ई-बसों और बीआरटीएस से भी संभाला जा सकता है। इसी बीच एचईएसएस कंपनी ने बाई-आर्टिकुलेटेड बसों का प्रस्ताव दिया, जिसे अब गंभीरता से आगे बढ़ाया जा रहा है।