भारत और चीन ने सीमा पर तनाव को और कम करने के लिए कदम उठाने और अक्तूबर में हुए समझौते को पूरी तरह लागू करने पर सहमति जताई है। यह जानकारी चीन के विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में हुई बातचीत के एक दिन बाद दी। गुरुवार को नई दिल्ली में चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए वर्किंग मेकैनिज्म (डब्ल्यूएमसीसी) की 32वीं बैठक हुई। दोनों पक्षों ने सैन्य और कूटनीतिक माध्यमों से संवाद बनाए रखने और सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने पर सहमति जताई। बैठक में सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों पर हुई प्रगति को सकारात्मक रूप से आंका गया और इन्हें पूरी तरह और प्रभावी ढंग से लागू करने पर चर्चा की गई। इसके साथ ही सीमा पर स्थिति को और शांतिपूर्ण बनाने के उपायों पर सहमति बनी। यह बैठक 21 अक्तूबर के उस समझौते के बाद हुई है, जिसमें दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में चार साल से चले आ रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने पर सहमति बनाई थी। बैठक में दोनों देशों के नेताओं की तरफ से तय किए गए महत्वपूर्ण समझौतों को लागू करने और सीमा मुद्दों पर विशेष प्रतिनिधियों की आगामी वार्ता की तैयारी पर चर्चा हुई। मामले में विदेश मंत्रालय (एमईए) ने बताया कि गुरुवार की बातचीत में दोनों पक्षों ने 2020 में हुए पूर्वी लद्दाख विवाद से सीख लेते हुए भविष्य में ऐसे तनाव से बचने पर चर्चा की।
21 अक्तूबर को दोनों पक्षों में बनी सहमति
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था। जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में गंभीर तनाव आ गया था। हालांकि, 21 अक्तूबर को हुए समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग में अंतिम दो विवादित क्षेत्रों से सेनाओं को हटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह गतिरोध समाप्त हो गया। जबकि 23 अक्तूबर को रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बातचीत की और संवाद के कई तंत्रों को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई।