Friday, July 11, 2025

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दक्षिण कलकत्ता लॉ कॉलेज सामूहिक दुष्कर्म मामला: ममता सरकार ने हाईकोर्ट को सौंपी सीलबंद जांच रिपोर्ट, अगली सुनवाई 17 जुलाई को

दक्षिण कलकत्ता लॉ कॉलेज में छात्रा के साथ हुए कथित सामूहिक दुष्कर्म मामले की जांच को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता हाईकोर्ट में सीलबंद लिफाफे में एक प्रगति रिपोर्ट पेश की है। यह रिपोर्ट कोलकाता पुलिस द्वारा अब तक की गई जांच के आधार पर तैयार की गई है।

 कोर्ट ने केस डायरी का अवलोकन किया

न्यायमूर्ति सौमेंद्र सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पुलिस द्वारा पेश की गई केस डायरी का भी निरीक्षण किया। अदालत ने निर्देश दिया कि जांच में आगामी प्रगति की नई रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर सौंपी जाए। अगली सुनवाई की तारीख 17 जुलाई तय की गई है।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पीड़िता के परिवार के वकील को जांच रिपोर्ट की एक प्रति दी जा सकती है, लेकिन इसकी जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जाए

तीन जनहित याचिकाएं और गंभीर सवाल

इस गंभीर प्रकरण में अब तक तीन जनहित याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। याचिकाकर्ताओं ने इस चौंकाने वाली घटना को लेकर कई अहम सवाल खड़े किए हैं:

  • एक पूर्व छात्र को कॉलेज समय के बाद प्रवेश कैसे मिला?
  • कॉलेज स्टाफ देर रात तक परिसर में क्यों मौजूद थे?
  • कॉलेज में सुरक्षा व्यवस्था क्या थी, जो इस घटना को रोक नहीं सकी?
  • जब पीड़िता ने पहले ही धमकियों की जानकारी कॉलेज प्रशासन और पुलिस को दे दी थी, तो सुरक्षा कदम क्यों नहीं उठाए गए?

सीबीआई जांच की मांग

एक याचिकाकर्ता ने दावा किया कि मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा का संबंध राज्य की सत्ताधारी पार्टी से है। उन्होंने मांग की कि जांच को निष्पक्ष रखने के लिए इसे कोलकाता पुलिस से हटाकर सीबीआई को सौंपा जाए।

अन्य याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि:

  • जांच कोर्ट की निगरानी में हो
  • राज्य के सभी कॉलेजों में सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए

अब तक की कार्रवाई: कौन-कौन गिरफ्तार

अब तक इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है:

  1. मनोजीत मिश्रा – पूर्व छात्र, मुख्य आरोपी
  2. प्रमित मुखर्जी – वर्तमान छात्र
  3. जैद अहमद – दूसरा छात्र
  4. कॉलेज का एक सुरक्षा गार्ड

चारों को न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है।

यह मामला राजनीति, शिक्षा संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था और महिला सुरक्षा जैसे कई ज्वलंत सवालों को एक साथ उठाता है।
अगली सुनवाई में कोर्ट यह तय कर सकता है कि जांच की दिशा किस ओर बढ़ेगी – सीबीआई को सौंपा जाए या कोर्ट की निगरानी में राज्य पुलिस को जांच जारी रखने दी जाए।

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