भारत ने पाकिस्तान की नींद उड़ा देने वाली एक बड़ी रणनीति पर काम तेज कर दिया है। वर्षों से विवादों में उलझी तुलबुल नेविगेशन परियोजना (Wullar Barrage) को दोबारा शुरू करने की तैयारी जोरों पर है। सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है, जो लगभग एक साल में पूरी हो जाएगी। इसके बाद परियोजना को जमीन पर उतारने का फैसला होगा। यह पूरा मामला ऐसे समय में सामने आया है जब 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को ‘अस्थायी रूप से निलंबित’ कर दिया है। इस संधि के तहत भारत को पश्चिमी नदियों सिंधु, चेनाब और झेलम पर सीमित अधिकार हैं। हालांकि अब भारत इन नदियों के अपने हिस्से के पानी का अधिकतम उपयोग करने की रणनीति बना रहा है।तुलबुल परियोजना जम्मू-कश्मीर में वुलर झील के मुहाने पर बनने वाला एक नियंत्रण ढांचा (नैविगेशन लॉक-कम-कंट्रोल स्ट्रक्चर) है। इसका मकसद सर्दियों में झेलम नदी में जल स्तर बनाए रखना और नौवहन को सुगम बनाना है। हालांकि 1987 में पाकिस्तान के विरोध के चलते यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस परियोजना के पूरा होने से जम्मू-कश्मीर के लोगों को सामाजिक-आर्थिक फायदा मिलेगा। इससे झेलम नदी में जल प्रवाह सुधरेगा, बाढ़ प्रबंधन बेहतर होगा और जलभराव की समस्या भी कम होगी। साथ ही, झेलम में सालभर नौकायन संभव हो सकेगा जिससे व्यापार और आवाजाही आसान होगी।