उत्तराखंड के शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। विभाग द्वारा आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नियुक्त किए गए 580 सीआरपी और बीआरपी को तीन महीने बीतने के बाद भी वेतन नहीं मिला है। सितंबर में की गई इन नियुक्तियों को वेतन देने की जिम्मेदारी एमओयू के अनुसार संबंधित कंपनी की है, लेकिन अब तक भुगतान न होने से कर्मचारी परेशान हैं। भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने इसे कर्मचारियों के साथ अन्याय बताते हुए अपर शिक्षा सचिव एमएम सेमवाल से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
वहीं, प्रदेश में 2001 से 2003 के बीच नियुक्त 802 शिक्षा मित्रों को वर्ष 2015 में औपबंधिक सहायक अध्यापक बनाया गया था। टीईटी उत्तीर्ण करने के बाद औपबंधन हटने पर वेतन वृद्धि का लाभ मिलना था, लेकिन टीईटी पास किए एक वर्ष से अधिक समय हो जाने के बावजूद 69 शिक्षकों का औपबंधन अभी तक नहीं हटाया गया है। इससे उनकी वेतन वृद्धि रोक दी गई है।
समायोजित प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ललित द्विवेदी का कहना है कि आरटीई एक्ट लागू होने से पहले कार्यरत शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि एमएचआरडी और एनसीटीई भी इसके पक्ष में स्पष्ट दिशा-निर्देश दे चुके हैं, फिर भी कुछ शिक्षकों से औपबंधन हटाकर लाभ दिया गया और कई को नजरअंदाज कर दिया गया।
दूसरी ओर, माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल सती ने बताया कि आउटसोर्स एजेंसी को वेतन भुगतान के लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक अजय कुमार नौडियाल के अनुसार, टीईटी कर चुके औपबंधिक सहायक अध्यापकों को नई भर्ती में वरीयता अंकों का लाभ दिया जा रहा है और मेरिट में स्थान मिलने पर ही उनका औपबंधन हटाया जाएगा।





