तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने राज्य में केंद्र की पीएम विश्वकर्मा योजना को राज्य में लागू करने से इनकार कर दिया है। तमिलनाडु सरकार का कहना है कि वे योजना को इसके मौजूदा स्वरूप में लागू नहीं कर सकते हैं क्योंकि पीएम विश्वकर्मा योजना अपने मौजूदा स्वरूप में जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देती है। डीएमके सरकार ने कहा कि वे पीएम विश्वकर्मा योजना की जगह दूसरी योजना लाएंगे, जो ज्यादा समावेशी और बेहतर होगी।
क्या है पीएम विश्वकर्मा योजना
केंद्र की मोदी सरकार ने बीते साल अपनी महत्वकांक्षी पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत भारत सरकार देश के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को उन्नत ट्रेनिंग देकर उन्हें सस्ती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करा रही है। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 13 हजार करोड़ का बजट तय किया है। फिलहाल इस योजना को पांच साल के लिए लागू किया गया है। इसके तहत सरकार कारीगरों जैसे बुनकर, लोहार, कुम्हार, मूर्तिकार, कपड़े धोने वाले श्रमिक, दर्जी, राजमिस्त्री आदि को ट्रेनिंग देगी। ट्रेनिंग के दौरान कारीगरों को हर दिन 500 रुपये का स्टाइपेंड भी दिया जाएगा। साथ ही ट्रेनिंग के बाद उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए तीन लाख रुपये तक का लोन बिना गारंटी, डिजिटल लेन-देन की जानकारी, टूलकिट, उत्पादों के लिए क्वालिटी सर्टिफिकेशन, ब्रांडिंग और विज्ञापन आदि की भी जानकारी देगी।