नई दिल्ली। देश में पायलटों और एयरक्रू की चिकित्सा जांच प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने बड़ा कदम उठाया है। डीजीसीए ने पहली बार निजी एयरोमेडिकल केंद्रों (Private Aeromedical Centres) को मान्यता देते हुए उन्हें आधिकारिक रूप से सूचीबद्ध किया है। इससे अब पायलटों को मेडिकल जांच के लिए लंबे इंतजार या सीमित सरकारी सुविधाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
डीजीसीए के अनुसार, फिलहाल पायलटों की मेडिकल जांच केवल इंडियन एयर फोर्स के मेडिकल बोर्ड्स या सरकारी अधिकृत अस्पतालों में होती थी, जिससे अक्सर लंबी प्रतीक्षा सूची और समय की समस्या आती थी। अब निजी क्षेत्र के एयरोमेडिकल केंद्रों को शामिल किए जाने से देशभर में जांच की सुविधा बढ़ेगी और प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुलभ होगी।
अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक चरण में देश के विभिन्न महानगरों — दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई — में स्थित चुनिंदा निजी संस्थानों को यह मान्यता दी गई है। इन केंद्रों को डीजीसीए के निर्धारित मानकों, चिकित्सा उपकरणों और विशेषज्ञता की कसौटी पर जांच के बाद मंजूरी दी गई है।
इस पहल से कमर्शियल पायलटों, एयरलाइन कर्मियों और फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन्स (FTOs) के छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी। पहले कई बार मेडिकल जांच में देरी के कारण प्रशिक्षण या लाइसेंस नवीनीकरण में कठिनाइयां आती थीं।
डीजीसीए ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन निजी केंद्रों पर की गई मेडिकल जांच की रिपोर्ट अब नागरिक उड्डयन मंत्रालय के डिजिटल प्लेटफॉर्म से सीधे जुड़ी होगी, जिससे डेटा ट्रांसफर और सत्यापन प्रक्रिया तेज होगी।
अधिकारियों का कहना है कि यह कदम भारत में तेजी से बढ़ते विमानन क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार है। आने वाले समय में और अधिक निजी केंद्रों को भी सूची में शामिल करने की योजना है, ताकि देश के हर क्षेत्र में पायलटों को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सके।