डोनाल्ड ट्रंप पर हमले को लेकर कहा जा रहा है कि अमेरिकी समाज राजनीतिक रूप से इतना बंट गया है कि इसकी वजह से वहां हिंसा भड़कने का खतरा पैदा हो गया है। राष्ट्रपति बाइडन ने भी देश के नाम अपने संबोधन में इस राजनीतिक प्रतिद्वंदिता को कम करने की अपील की। हालांकि ऐसा लगता है कि ट्रंप पर हमले के बाद ये राजनीतिक प्रतिद्वंदिता कम होने की बजाय और बढ़ गई है। दरअसल ट्रंप समर्थकों का मानना है कि पूर्व राष्ट्रपति पर हमले की अमेरिकी मीडिया ने भ्रामक रिपोर्टिंग की। सोशल मीडिया पर इससे संबंधित ट्वीट्स की बाढ़ आई हुई है और कई यूजर्स अमेरिकी मीडिया पर एजेंडा चलाने का आरोप लगा रहे हैं। डगलस मैक्ग्रेगोर नामक एक यूजर ने सोशल मीडिया पर एक न्यूज क्लिप को साझा किया है। इस वीडियो क्लिप के साथ यूजर ने लिखा कि ‘मीडिया, ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले के पीछे ट्रंप समर्थकों और खुद डोनाल्ड ट्रंप का हाथ बता रहा है। यह मीडिया आपका दोस्त नहीं है।’ एक अन्य यूजर ने वॉशिंगटन पोस्ट के कुछ लिंक सोशल मीडिया पर साझा किए और कैप्शन में लिखा कि ‘डोनाल्ड ट्रंप बीते आठ वर्षों से हमें बताने की कोशिश कर रहे हैं कि मीडिया और कुछ नहीं बल्कि फर्जी खबरें हैं।’ दरअसल यूजर की इस बात को लेकर नाराजगी थी कि डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमले की खबरों की हेडलाइन में इस बात का जिक्र था ही नहीं कि ट्रंप पर घातक हमला हुआ है बल्कि ऐसा बताया गया कि रैली स्थल पर गोली चलने की आवाज सुनी गई। यूजर्स ने आरोप लगाया कि ट्रंप पर हमले की घटना को मीडिया में हल्का करके दिखाया गया।