वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। ट्रंप प्रशासन में ट्रेजरी सचिव रहे स्टीवन म्नुचिन ने खुलासा किया है कि व्यापार युद्ध के दौरान लगाए गए टैरिफ से अमेरिका को जितना लाभ हुआ, उसका आधा हिस्सा अब रिफंड के तौर पर लौटाना पड़ सकता है।
म्नुचिन ने एक कार्यक्रम में कहा कि ट्रंप सरकार ने चीन समेत कई देशों पर भारी-भरकम आयात शुल्क लगाए थे। उस समय इसे अमेरिकी उद्योग और नौकरियों की सुरक्षा का उपाय बताया गया था। लेकिन अब स्थिति यह है कि अमेरिकी उपभोक्ता और कंपनियों पर महंगाई का बोझ बढ़ गया है, जिससे राहत देने के लिए सरकार को टैरिफ का एक बड़ा हिस्सा वापस करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा, “टैरिफ को लेकर हमारा उद्देश्य अलग था, लेकिन इसके नतीजे उम्मीद से विपरीत रहे। अगर हमें आर्थिक दबाव को कम करना है तो करीब आधा टैरिफ रिफंड करना होगा।”
गौरतलब है कि ट्रंप कार्यकाल में चीन से आने वाले अरबों डॉलर के सामान पर आयात शुल्क लगाया गया था। इससे शुरू में राजस्व में बढ़ोतरी हुई, लेकिन लंबे समय में इसका असर अमेरिकी बाजार पर ही पड़ा। आयातित वस्तुएं महंगी होने से आम उपभोक्ताओं पर दबाव बढ़ा और महंगाई में तेजी आई।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि टैरिफ रिफंड किया जाता है तो यह अमेरिकी कंपनियों और आम नागरिकों के लिए राहत की बात होगी, लेकिन दूसरी ओर यह स्वीकारोक्ति भी होगी कि ट्रंप की कठोर व्यापार नीति अपने मूल उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकी।