वॉशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर जहां वैश्विक स्तर पर चिंता और विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं, वहीं इसी पृष्ठभूमि में तीन अंतरराष्ट्रीय दिग्गज एक साझा मंच पर दिखाई दिए। इस मुलाकात ने न केवल अमेरिका की आर्थिक नीतियों पर बहस को और गहरा कर दिया है, बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था में उथल-पुथल की संभावना भी बढ़ा दी है।
जानकारी के अनुसार, इस मंच पर उपस्थित नेताओं और अर्थशास्त्रियों ने स्पष्ट कहा कि अत्यधिक टैरिफ लगाने से मुक्त व्यापार व्यवस्था प्रभावित होगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिर हो सकती है। विशेषज्ञों ने आगाह किया कि अगर अमेरिका अपनी इस हठधर्मिता पर कायम रहा, तो आने वाले महीनों में कई देशों के बीच आर्थिक टकराव बढ़ सकते हैं।
बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री ने कहा, “व्यापार बाधाएं किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को अल्पकालिक लाभ तो दे सकती हैं, लेकिन दीर्घकालिक नुकसान निश्चित हैं। दुनिया को संरक्षणवाद नहीं, सहयोग की आवश्यकता है।”
वहीं, अन्य नेताओं ने जोर दिया कि इस समय दुनिया को सप्लाई चेन की मजबूती, नई तकनीकों के साझा उपयोग और बाजारों में स्थिरता की सबसे अधिक जरूरत है। लेकिन ट्रंप के बढ़ते टैरिफ कदम इस दिशा में गंभीर बाधा साबित हो सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संयुक्त मंच से निकलने वाला संदेश स्पष्ट है—यदि अमेरिका ने अपनी नीतियों पर पुनर्विचार नहीं किया तो न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक रिश्ते कमजोर होंगे, बल्कि वैश्विक मंदी का खतरा भी बढ़ जाएगा।