इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के मामले में लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश हुआ, जिसे स्पीकर ओम बिरला ने मंजूरी दी। इसके साथ ही आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। रिपोर्ट आने तक प्रस्ताव लंबित रहेगा।
समिति में शामिल सदस्य
• जस्टिस अरविंद कुमार, सुप्रीम कोर्ट – 16 वर्षों से अधिक का संवैधानिक अदालतों का अनुभव, पूर्व में गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और भारत के सहायक महाधिवक्ता भी रह चुके हैं।
• जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश – पूर्व में राजस्थान और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे।
• बी. वी. आचार्य, वरिष्ठ अधिवक्ता – 91 वर्षीय अनुभवी न्यायविद, पांच बार कर्नाटक के महाधिवक्ता, जे. जयललिता के आय से अधिक संपत्ति मामले में विशेष सरकारी अभियोजक।
आंतरिक जांच में भी दोषी
14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास से जले हुए नोटों के बंडल मिले थे। सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति ने उन्हें दोषी पाया था। 7 अगस्त 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने जांच रिपोर्ट को अमान्य ठहराने की मांग की थी।