भारत और रूस के बीच चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा चालू हो गया है। इस गलियारे के जरिये कच्चे तेल, धातु और कपड़ा ले जाने वाले कंटेनर जहाजों का भारतीय बंदरगाहों पर आना शुरू हो गया है।
बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सोमवार को कहा कि व्लादिवोस्तोक और चेन्नई के बीच पूर्वी समुद्री गलियारा चालू हो गया है। इससे दोनों देशों के समुद्री संबंधों को बढ़ावा मिलने की संभावना है। यह कॉरिडोर लगभग 5,600 समुद्री मील लंबा है। अनुमान के मुताबिक, इस गलियारे से भारत और रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र के बंदरगाहों के बीच माल परिवहन में लगने वाला समय 16 दिनों तक कम हो जाएगा। अभी भारत से रूस के इस क्षेत्र तक मालवाहक जहाजों के पहुंचने में 40 दिन का समय लगता है, जो अब 24 दिन रह जाएगा। मुंबई और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के बीच वर्तमान मार्ग की लंबाई 8,675 समुद्री मील है और इसे तय करने में लगभग 35 से 40 दिन का समय लगता है।व्लादिवोस्तोक प्रशांत महासागर पर सबसे बड़ा रूसी बंदरगाह है, और यह चीन-रूस सीमा से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है।
बता दें कि लगभग 38 महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चेन्नई और रूस के बीच समुद्री परिवहन की अहमियत को रेखांकित किया था। उन्होंने सितंबर, 2021 में पूर्वी आर्थिक मंच को संबोधित करते समय उत्तर पश्चिमी साइबेरिया में स्थित यमल से रूसी शहर व्लादिवोस्तोक और इसके आगे चेन्नई तक आने के लिए समुद्री रास्ते की अहमियत भी बताई थी। बकौल पीएम मोदी, भारत एक ऊर्जा और व्यापार पुल की परिकल्पना करता है। इसके तहत चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा तैयार किया जा रहा है। यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे के साथ मिलकर भारत-रूस को एक-दूसरे के और करीब लाएगी।