श्रीलंका में आए शक्तिशाली चक्रवात ‘दित्वाह’ ने भारी तबाही मचाई है। तूफान से हजारों घर क्षतिग्रस्त हुए और नागरिकों की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया। इस कठिन समय में भारत ने तुरंत सहायता का हाथ बढ़ाया और श्रीलंका को राहत और बचाव कार्यों में मदद प्रदान की। भारतीय राहत दलों ने प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाते हुए जीवनरक्षक सेवाएं मुहैया कराई।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमों ने भी इस संकट के दौरान अपनी तत्परता दिखाई। दलों ने कठिन परिस्थितियों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने के साथ-साथ विशेष आपातकालीन सहायता प्रदान की। राहत कार्यों के दौरान एक गर्भवती महिला को सुरक्षित निकाला गया, जिसे NDRF की टीम ने न केवल बचाया बल्कि आवश्यक चिकित्सा सहायता भी उपलब्ध करवाई। इस कदम से महिला और उसके होने वाले शिशु का जीवन सुरक्षित हुआ और यह राहत कार्यों में भारत की तत्परता और मानवता की मिसाल बन गया।
सूत्रों के अनुसार, भारतीय राहत दलों ने चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में खाने-पीने का सामान, प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं और अस्थायी आश्रय प्रदान किया। टीमों ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर प्रभावित लोगों की संख्या के अनुसार राहत अभियान को तेज और प्रभावी बनाया।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं के समय पड़ोसी देशों के बीच सहयोग का यह उदाहरण सराहनीय है। भारत ने न केवल श्रीलंका की तत्काल जरूरतों को पूरा किया, बल्कि संकट में पड़ोसी देश को सुरक्षा और आश्वासन देने में भी अपनी भूमिका पूरी तरह निभाई।
इस आपदा में भारत की मदद से प्रभावित लोगों में नया साहस और भरोसा पैदा हुआ है। NDRF की इस कार्रवाई ने साबित कर दिया कि मुश्किल हालात में तत्परता, तकनीकी कौशल और मानवता के मूल्यों का समन्वय किस तरह से जीवन बचा सकता है।




