Friday, July 4, 2025

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चंद्रमा के चारों ओर पहली अंतरिक्ष यात्री उड़ान में होगी और देरी

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने घोषणा की है कि उसके अगले चंद्र मिशन में और देरी होगी। पहले योजना थी कि अंतरिक्ष यात्रियों को 2025 में चंद्रमा के चारों ओर भेजा जाएगा। लेकिन अब वह अप्रैल 2026 तक टल गई है। इस मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा के चारों ओर यात्रा करेंगे और फिर वापस धरती पर लौटेंगे। इस देरी के कारण नासा का वह मिशन भी अब 2027 तक टल जाएगा, जिसमें दो अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतरना है। नासा का आर्टेमिस मिशन अब तक सिर्फ एक बार सफल रहा है। 2022 में एक खाली कैप्सूल को नए स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) से चंद्रमा के चारों ओर भेजा गया था। कैप्सूल का लॉन्च और चंद्रमा के चारों ओर का सफर सफल रहा था। लेकिन वापसी के दौरान कैप्सूल के निचले हिस्से के हीट शील्ड को नुकसान पहुंचा था। नासा के इंजीनियर्स को इसकी वजह का हाल ही में पता चला और अब वह इसके समाधान पर काम कर रहे हैं। 1960 और 1970 के दशक में अपोलो के बाद आर्टेमिस मिशन नासा का सबसे बड़ा कार्यक्रम है।   अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख बिल नेल्सन ने कहा, ओरियन कैप्सूल के हीट शील्ड (जो गर्मी से बचाने के लिए होती है) में कुछ बदलाव किए जाएंगे। इसके अलावा, जब कैप्सूल वापस धरती पर आएगा, तो उसके रास्ते में भी बदलाव किया जाएगा, ताकि वह सुरक्षित वापस लौट सके। वहीं, नासा के उप-प्रमुख पैम मेलरॉय ने बताया कि पहले के परीक्षण में जब कैप्सूल धरती पर वापस आ रहा था, तो वह बार-बार धरती के वायुमंडल में प्रवेश कर रहा था। इससे कैप्सूल की हीट शील्ड को नुकसान पहुंचा और उसमें दरारें आ गईं, जिससे वह सही तरीके से काम नहीं कर सका।

इस मिशन के कमांडर और अंतरिक्ष यात्री रीड वाइजमैन ने नासा के मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया। इस मिशन में उनके साथ नासा के अंतरिक्ष यात्री विक्टर ग्लोवर, क्रिस्टिनी कोच और कनाडा के अंतरिक्ष यात्री जेरेम हेनसन भी होंगे। वाइजमैन ने कहा, हमारे लिए इस मिशन में देरी होना परेशानी की बात है। लेकिन हम चाहते हैं कि पहले मिशन के दौरान जो हीट शील्ड को नुकसान पहुंचा था, उसे पूरी तरह से समझा जाए, चाहे इसमें कितना भी समय लगे। नासा के अपोलो मिशन के दौरान 24 अंतरिक्ष यात्रियों ने चंद्रमा की यात्रा की थी, जिसमें से 12 ने चंद्रमा पर कदम रखे थे। आखिरी बार 1972 में अपोलो 17 मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर गए थे।

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