गुजरात के कृषि क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। यह महज गुजर-बसर करने वाली अर्थव्यवस्था से अब विविधतापूर्ण और बाजार-उन्मुख अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो गया है। गुजरात की कृषि सफलता अन्य भारतीय राज्यों के लिए एक आदर्श है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने बुधवार को गुजरात के सरदार पटेल विश्वविद्यालय में कृषि-आर्थिक अनुसंधान केंद्र (एईआरसी) के स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए यह बात कही। डॉ. मिश्रा ने कहा कि गुजरात का कृषि और संबद्ध क्षेत्र 9.7 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है, जबकि भारत का औसत 5.7 प्रतिशत है। उन्होंने प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने में गुजरात की सफलता की भी सराहना की। कृषि महोत्सव और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी पहलों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात देश का पहला राज्य था, जिसने मृदा स्वास्थ्य कार्ड पेश किया। उच्च उपज देने वाली किस्मों और जैव प्रौद्योगिकी में राज्य की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, मिश्रा ने बीटी कॉटन अपनाने में गुजरात की महत्वपूर्ण प्रगति का जिक्र किया, जिससे अधिक उपज हुई और खास कर शुष्क क्षेत्रों में कीटनाशकों के उपयोग में कमी आई। उन्होंने जैविक खेती में गुजरात के नेतृत्व की भी प्रशंसा की, जिसमें बीज महोत्सव, जैविक खाद्य महोत्सव और जैविक किसानों के द्विवार्षिक सम्मेलन जैसी गतिविधियां शामिल हैं। हाल ही में, राज्य ने प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाया है। डॉ. मिश्रा ने दीर्घकालिक उत्पादकता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतियों के महत्व को बताया और कृषि कार्यों में सुधार के लिए मिट्टी की जांच, संरक्षण जुताई व रिमोट सेंसिंग, जीपीएस, ड्रोन और एआई जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाने जैसी रणनीतियों की वकालत की।
कृषि अनुसंधान में निवेश की जरूरत
पीएम मोदी के प्रधान सचिव ने कृषि अनुसंधान में निवेश करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने पराली व अन्य कृषि अवशेषों से अक्षय ऊर्जा और जैव ऊर्जा उत्पादन के उपयोग को प्रोत्साहित किया। साथ ही, किसानों के लिए समय पर मौसम संबंधी सलाह के साथ-साथ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और लचीलापन बढ़ाने के लिए जलवायु-स्मार्ट प्रथाओं का आह्वान किया।