Wednesday, November 12, 2025

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गिरफ्तारी के डर से उमर ने किया विस्फोट, मौत पर सस्पेंस बरकरार

नई दिल्ली। लाल किले के पास हुए धमाके की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, धमाके को अंजाम देने वाला आतंकी डॉक्टर उमर मोहम्मद पहले से ही सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर था। सूत्रों के मुताबिक, फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल के खुलासे के बाद गिरफ्तारी के डर से वह हड़बड़ी में दिल्ली पहुंचा और वहां विस्फोट कर दिया। हालांकि, एजेंसियां अभी कई पहलुओं पर जांच कर रही हैं।
जानकारी के अनुसार, उमर कुछ दिन पहले तक फरीदाबाद में ही सक्रिय था। जब वहां टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ, तो वह उसी इलाके में मौजूद था। एजेंसियों की कार्रवाई की भनक मिलते ही वह भागकर दिल्ली पहुंचा और विस्फोटक सामग्री से भरी कार लेकर लाल किले की ओर निकल पड़ा। आशंका है कि उसने डर और दबाव में यह धमाका किया, ताकि अपने आकाओं को अपनी सक्रियता का संदेश दे सके।
प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि धमाके के वक्त कार में उमर अकेला था। उसने अपने साथियों की मदद से कार में पहले से विस्फोटक फिट किया था। कार के भीतर से बरामद शव के चीथड़ों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। डीएनए रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि मारा गया व्यक्ति वास्तव में उमर मोहम्मद था या नहीं।
धमाके से पहले के सीसीटीवी फुटेज में एक व्यक्ति को काले मास्क में कार में बैठते देखा गया है। एजेंसियों का मानना है कि यही व्यक्ति उमर है। अब यह जांच की जा रही है कि दिल्ली में उसे किसी स्थानीय मॉड्यूल या व्यक्ति से मदद मिली थी या नहीं।
इस बीच, धमाके में इस्तेमाल की गई आई-20 कार फरीदाबाद से चार दिन पहले ही खरीदी गई थी। कार डीलर सोनू, जो सेक्टर-37 स्थित रॉयल कार जोन चलाता है, को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। उसने बताया कि कार को ओएलएक्स पर विज्ञापन देकर बेचा गया था।
फरीदाबाद पुलिस प्रवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कि सोनू को दिल्ली स्पेशल सेल को सौंप दिया गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि कार हरियाणा नंबर HR-26 की थी और पिछले एक साल में सात बार बेची जा चुकी थी।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि धमाका सुनियोजित आतंकी साजिश का नतीजा था। मौके से आईईडी के अवशेष बरामद हुए हैं। हालांकि, विस्फोट स्थल पर न तो गड्ढा बना और न ही शवों पर झुलसन के निशान मिले, जिससे जांच और जटिल हो गई है।
एनआईए, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और फोरेंसिक टीमें मिलकर घटना की गहन जांच कर रही हैं। प्रारंभिक निष्कर्ष बताते हैं कि कार के पिछले हिस्से में धमाका हुआ, जहां आईईडी छिपाया गया था।
धमाके में इस्तेमाल कार का रजिस्ट्रेशन गुरुग्राम निवासी सलमान के नाम पर है। पूछताछ में उसने बताया कि उसने कार ओखला निवासी देवेंद्र को बेची थी, जिसने इसे आगे अंबाला निवासी व्यक्ति को बेच दिया। बाद में कार पुलवामा निवासी तारिक तक पहुंची थी।
एजेंसियां अब इस पूरी चेन और फरीदाबाद मॉड्यूल से इसके संबंधों की कड़ियों को जोड़ने में जुटी हैं। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि लाल किले के पास हुआ धमाका किसी बड़ी आतंकी साजिश का हिस्सा था — और डॉक्टर उमर की मौत ने इस जांच को और भी पेचीदा बना दिया है।

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