Tuesday, July 1, 2025

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गाजा संघर्ष विराम प्रस्ताव पर यूएस का फिर वीटो, बंधकों की रिहाई के मुद्दे पर आपत्ति; 14 देश समर्थन में

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को गाजा में तुरंत और स्थायी संघर्ष विराम की मांग करने वाले प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो कर दिया। अमेरिका का कहना है कि प्रस्ताव में हमास की तरफ से बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई को संघर्ष विराम से नहीं जोड़ा गया है, इसलिए वह इसे स्वीकार नहीं कर सकता। बता दें कि यह प्रस्ताव 15 सदस्यीय परिषद में लाया गया था, जहां बाकी 14 देशों ने संघर्ष विराम के प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया।

अमेरिका के विरोध का बड़ा कारण है कि अमेरिका चाहता था कि प्रस्ताव में 7 अक्तूबर 2023 को इस्राइल पर हमास के हमले की निंदा की जाए, हमास के हथियार छोड़ने और गाजा से हटने की भी मांग की जाए। साथ ही संघर्ष विराम की शर्त यह हो कि सभी बंधकों को बिना शर्त रिहा किया जाए। प्रस्ताव में ये बातें स्पष्ट रूतप से शामिल नहीं थीं।

गाजा में मौजूदा मानवीय संकट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव में इस्राइल से सभी सहायता प्रतिबंध हटाने और जरूरी सेवाओं को बहाल करने की मांग की थी। गाजा में करीब 21 लाख लोग पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर हैं, क्योंकि इस्राइली हमलों में लगभग सभी खाद्य उत्पादन व्यवस्था नष्ट हो चुकी है।

संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा कि इस्राइल की तकफ से प्रस्तावित नई सहायता प्रणाली मानवीय सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे हमास को सहायता चुराने से रोकने की कोशिशें भी विफल हो सकती हैं। वहीं मामले में इस्राइल का कहना है कि प्रस्ताव से चल रही संघर्ष विराम बातचीत को नुकसान पहुंचेगा और यह हमास की भूमिका की अनदेखी करता है, जो अब भी गाजा में नागरिकों की जान खतरे में डाल रहा है।

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मंगलवार को कहा था कि गाजा में जरूरतें बहुत ज्यादा हैं और संयुक्त राष्ट्र से गाजा में जो कुछ पहुंच रहा है वह अभी भी बहुत कम है। उन्होंने ये भी कहा था कि जब से नाकाबंदी हटाई गई है, तब से इस्राइल से केरेम शालोम क्रॉसिंग के फलस्तीनी हिस्से तक सिर्फ 620 ट्रक सामान ही पहुंच पाया है। सिर्फ 370 ट्रक सामान जरूरतमंद लोगों तक पहुंच पाया है, जिनमें से कुछ को सशस्त्र गिरोहों ने लूट लिया है।

गौरतलब है कि गाजा में चल रहे संघर्ष के चलते अब तक भयंकर तबाही मच चुकी है। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस संघर्ष में अब तक 54,000 से ज्यादा फलस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। हालांकि यह मंत्रालय हमास सरकार के अधीन है, फिर भी इसके आंकड़ों को संयुक्त राष्ट्र और विशेषज्ञ आमतौर पर विश्वसनीय मानते हैं।

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