अमेरिका में क्रिप्टोकरेंसी को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘जीनियस एक्ट’ नामक विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह कानून डॉलर-पेग्ड क्रिप्टो टोकन यानी स्टेबलकॉइन्स के लिए एक विनियमित ढांचा तैयार करता है और डिजिटल संपत्तियों को सुरक्षित, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने का मार्ग खोलता है।
📌 क्या है जीनियस एक्ट?
- यह विधेयक 308 बनाम 122 मतों से पारित हुआ।
- इसे लगभग आधे डेमोक्रेट्स और अधिकांश रिपब्लिकन का समर्थन मिला।
- यह क्रिप्टो समर्थकों के लिए “ऐतिहासिक जीत” मानी जा रही है।
💬 ट्रंप का बयान
“यह हस्ताक्षर आपकी कड़ी मेहनत का नतीजा है। जब मैं टैरिफ लगाता हूं, तो वे समझौते के लिए फोन करते हैं। अब हम स्टेबलकॉइन्स को भुगतान और ट्रांसफर का हिस्सा बनाएंगे।”
🔍 स्टेबलकॉइन के लिए नए नियम क्या हैं?
- 1:1 डॉलर से जुड़ी क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता
- जारीकर्ता कंपनियों को:
- धनशोधन विरोधी नियमों का पालन करना होगा
- आतंकवाद-रोधी उपायों को अपनाना होगा
- दिवालियापन की स्थिति में उपभोक्ताओं को प्राथमिकता देनी होगी
💡 समर्थकों की राय
- उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ावा
- परंपरागत वित्तीय संस्थाओं के लिए बाजार में प्रवेश आसान
- भुगतान, ट्रांसफर और नवाचार के लिए नया रास्ता
- MIT के प्रोफेसर क्रिश्चियन कैटालिनी के मुताबिक:
“इससे प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। अब उपभोक्ताओं के पास ज़्यादा विकल्प होंगे।”
⚠️ आलोचकों की चिंता
- यह कानून उद्योग के पक्ष में बहुत नरम है
- उपभोक्ता संरक्षण अपर्याप्त
- स्टेबलकॉइन्स के संभावित अवैध उपयोग पर लगाम कसने में विफल
🧭 भविष्य की दिशा
इस कानून से क्रिप्टो उद्योग को नियमित मान्यता, स्पष्ट मार्गदर्शन, और सरकारी निगरानी के साथ स्थिरता मिलेगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि अब क्रिप्टो भुगतान सिस्टम मुख्यधारा में प्रवेश करने के और करीब पहुंच चुके हैं।
🏛️ निष्कर्ष
‘जीनियस एक्ट’ पर ट्रंप के हस्ताक्षर अमेरिका में क्रिप्टो को लेकर नीतिगत स्पष्टता और वैश्विक नेतृत्व की ओर इशारा करते हैं। इससे भारत समेत अन्य देशों पर भी नियामक ढांचा अपनाने का दबाव बढ़ सकता है।