केदारनाथ तक पहुंच के लिए वैकल्पिक मार्गों की तलाश के लिए प्रशासनिक स्तर पर कवायद शुरू हो गई है। चौमासी-निवतर-रेका धार-रामबाड़ा और रेकाधार-केदारनाथ पैदल मार्ग पर यात्रा संचालन की संभावनाओं को लेकर लोनिवि, वन, राजस्व और भू-वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम मार्ग सर्वेक्षण के लिए रवाना हो गई है। यह दल दोनों मार्ग पर संवेदनशील स्थानों को चिह्नित करने के साथ ही मार्ग पर चढ़ाई, पानी की उपलब्धता सहित अन्य बिंदुओं का भी जायजा लेगा। दल की रिपोर्ट के आधार पर मार्गों को विकसित करने के लिए योजना बनाई जाएगी। बता दें कि कालीमठ घाटी के जनप्रतिनिधि व जनता जून 2013 की आपदा के बाद से केदारनाथ को इन मार्गों से जोड़ने की मांग करती आ रही है। शुक्रवार को केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के एसडीओ जुगल किशोर नेगी, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार और लोनिवि के सहायक अभियंता नरेंद्र कुमार के नेतृत्व में संयुक्त दल चौमासी ने नेवतर-रेकाधार-रामबाड़ा व रेकाधार-केदारनाथ पैदल मार्ग के सर्वेक्षण के लिए रवाना हुआ। दल रास्ते की भौतिक स्थिति, रास्ते की चौड़ाई, ढलान व चढ़ाई सहित भूस्खलन व भू-धंसाव जोन की संभावना को परखेगा। साथ ही रास्ते पर यात्रा सुविधाओं को विकसित करने के लिए क्या इंतजाम किए जाएंगे, इसे लेकर भी वहां के भौगोलिक हालात का जायजा लेगा। दल ने पहले दिन निवतर से छिप्पी तक 8 किमी हिस्से का सर्वेक्षण किया। यह पूरा मार्ग सेंचुरी क्षेत्र में है, इसलिए यहां किन मानकों के तहत कार्य हो सकेंगे इसे भी ध्यान में रखा जाएगा। दल में शामिल चौमासी के ग्राम प्रधान मुलायम सिंह तिंदोरी ने बताया कि चौमासी-निवतर-रेका से रास्ता एक ही है। रेकाधार से एक रास्ता रामबाड़ा और दूसरा रास्ता केदारनाथ के लिए जाता है, जो पैदल आवाजाही के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि रेकाधार से रामबाड़ा लगभग चार किमी और केदारनाथ करीब छह किमी की दूरी पर है। उन्होंने बताया कि इस पैदल मार्ग को केदारनाथ से जोड़कर यात्राकाल में प्रयोग किया जाता है तो इससे कालीमठ घाटी के पर्यटन और तीर्थाटन को पहचान मिलेगी। साथ ही कई लोगों की आजीविका को भी बल मिलेगा।