कर्नाटक के सभी मुस्लिमों को ओबीसी में शामिल करने पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कहा है कि सभी मुस्लिमों को ओबीसी के दायरे में लाकर सरकारी नौकरियों व शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण देने के कर्नाटक सरकार के फैसले से वास्तविक पिछड़ी जातियों के साथ अन्याय हुआ है। आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार ने मुसलमानों की सभी 37 जातियों को अल्पसंख्यक अन्य पिछड़ा वर्ग की नई श्रेणी बनाकर ओबीसी में शामिल कर पिछड़ा वर्ग के अधिकारों को मुसलमानों में बांट दिया है। आयोग का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उन आरोपों के संदर्भ में अहम है, जिसमें पीएम ने कहा था कि कांग्रेस दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के आरक्षण में मुस्लिमों को हिस्सा देना चाहती है।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस बारे में कर्नाटक सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से जवाब-तलब किया था। विभाग ने जवाब में कहा कि मुस्लिम और ईसाई जैसे समुदाय न तो जाति हैं, और न ही धर्म। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में पिछड़ा वर्ग श्रेणी 1 को मिलने वाले 4 फीसदी आरक्षण में कुल 391 जातियां हैं, जिनमें 17 मुस्लिम समुदाय की हैं। इसी तरह, श्रेणी 2ए के तहत 393 जातियों में से 19 मुसलमान जातियां शामिल हैं। श्रेणी 2बी में 4 फीसदी कोटा पाने वाली सिर्फ एक जाति है और वह मुसलमान है।