विवेकानंद पाटिल पर 560 करोड़ की हेराफेरी का आरोप, कोर्ट ने संपत्ति बेचने का आदेश दिया
पनवेल/मुंबई। महाराष्ट्र के करनाला नगरी सहकारी बैंक घोटाले में पाँच लाख से अधिक जमाकर्ताओं को बड़ी राहत मिलने जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस बहुचर्चित मामले में 380 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर राज्य सरकार के नामित प्राधिकरण को सौंप दी है, जिससे इन जमाकर्ताओं को उनकी गाढ़ी कमाई वापस मिल सकेगी।
यह मामला करनाला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन और चार बार के विधायक विवेकानंद शंकर पाटिल से जुड़ा है, जिन्हें जून 2021 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। यह कार्रवाई 2020 में पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज की गई FIR के आधार पर की गई थी।
63 फर्जी लोन खातों से 560 करोड़ की हेराफेरी
ईडी की जांच में सामने आया कि पाटिल और बैंक अधिकारियों ने RBI दिशानिर्देशों को दरकिनार करते हुए 63 फर्जी लोन खातों के जरिये 560 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। ये फंड पाटिल द्वारा नियंत्रित ट्रस्टों और संस्थाओं जैसे करनाला स्पोर्ट्स अकादमी, करनाला चैरिटेबल ट्रस्ट और महिला रेडीमेड गारमेंट कोऑपरेटिव में डायवर्ट किए गए।
अचल संपत्तियां जब्त, कोर्ट ने नीलामी का दिया आदेश
ईडी ने 2021 और 2023 में कुल 386 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त की थी। इसके बाद PMLA की विशेष कोर्ट में संपत्ति वापस पाने की याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने 22 जुलाई को आदेश देते हुए पनवेल की करनाला स्पोर्ट्स अकादमी और रायगढ़ के पोसारी में जमीन को नीलाम करने का निर्देश दिया है, जिससे प्राप्त धनराशि जमाकर्ताओं को लौटाई जा सके।
2019-20 के ऑडिट में सामने आया था घोटाला
RBI के 2019-20 ऑडिट के दौरान इस घोटाले का खुलासा हुआ था। इसके बाद से बैंक की वित्तीय स्थिति पूरी तरह चरमरा गई और करीब 5 लाख जमाकर्ताओं की 553 करोड़ रुपये की जमा पूंजी फंस गई थी।
अदालती प्रक्रिया से पहले मिली राहत
PMLA कानून के तहत विशेष प्रावधान है कि यदि जांच एजेंसी और अदालत सहमति दें, तो ट्रायल पूर्ण होने से पहले भी पीड़ितों को संपत्ति से राहत दी जा सकती है। यही प्रक्रिया इस मामले में अपनाई गई है।