लोकसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 293 सीटें मिली हैं। वहीं, भाजपा ने अपने दम पर 240 सीटें जीती हैं। भाजपा ने नये सहयोगी बनाए। वहीं, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की देखरेख में पार्टी ने कई प्रभावशाली विधानसभा जीत हासिल कीं। हालांकि, समय-समय पर असफलताओं के बावजूद भाजपा ने अपने गढ़ों को मजबूत किया। ऐसे में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो चुकी है। वह साढ़े चार साल से पार्टी अध्यक्ष बने हुए हैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव में जनाधार मजबूत करने वाली भाजपा को इस बार 62 सीटें गंवानी पड़ी हैं। हालांकि, पहली बार ओडिशा जीतने का जश्न भी है। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी को नया अध्यक्ष मिल सकता है। वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी एक इंटरव्यू में नड्डा के कार्यकाल और भाजपा के संगठनात्मक चुनाव पर बयान दे चुके हैं। हालांकि, चुनाव नतीजों के तत्काल बाद किसी भी पार्टी पदाधिकारी या सूत्र ने नेतृत्व परिवर्तन के बारे में खुलकर बयान नहीं दिया है। नाव परिणाम आने के बाद मंगलवार को भाजपा मुख्यालय में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नड्डा के नेतृत्व की उच्च प्रशंसा कर चुके हैं। उनके कार्यकाल के दौरान पार्टी में नड्डा की कड़ी मेहनत और ईमानदारी को सर्वोच्च स्तर पर स्वीकार किया है। .
पार्टी सूत्रों ने बताया कि संसदीय चुनावों की घोषणा के बाद, नड्डा ने देश भर में लगभग 140 अभियान चलाए। उन्होंने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने और पार्टी के व्यापक उद्देश्यों के अनुरूप एक एकीकृत मोर्चा सुनिश्चित करने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ लगभग 70 संगठनात्मक बैठकें भी बुलाईं। भाजपा अध्यक्ष नड्डा की राजनीतिक यात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से शुरू हुई। वह 1991 में भाजपा की युवा शाखा, भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) के अध्यक्ष बने। कानून की डिग्री रखने वाले नड्डा ने पार्टी के प्रमुख पदों पर कार्य किया। बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र और पंजाब तक कई राज्यों में चुनाव अभियान का नेतृत्व किया। अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकारों में मंत्री के रूप में भी काम किया। वह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री भी रहे।





