आज एनडीए के कैंपस में सिर्फ डिग्रियाँ नहीं दी गईं, बल्कि इतिहास के पन्नों पर एक नया अध्याय लिखा गया। पहली बार नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए), पुणे से 17 बहादुर बेटियाँ स्नातक होकर निकलीं — वही एनडीए जो अब तक सिर्फ पुरुष अधिकारियों की पहचान था।
300 से अधिक पुरुष कैडेट्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी ये 17 महिला कैडेट्स, अब थल, जल और वायु – तीनों सेनाओं में अधिकारी बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। 30 मई को होने वाली पासिंग आउट परेड अब सिर्फ सैन्य परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की झलक भी होगी।
एनडीए के कमांडेंट वाइस एडमिरल गुरचरण सिंह ने गर्व से कहा, “इन्होंने इतिहास रचा है। ये कैडेट्स कल की नहीं, आज की नायिकाएँ हैं। देश इन्हें देख रहा है, और लाखों बेटियाँ इनसे प्रेरणा लेंगी।”
मुख्य अतिथि प्रो. पूनम टंडन ने भी भावुक होते हुए कहा, “आप सिर्फ अफसर नहीं बन रहीं, आप उम्मीद बन रही हैं। वो उम्मीद जो हर छोटे कस्बे और गाँव की किसी लड़की की आँखों में आज जागी है।”
यह सफर आसान नहीं था। 2021 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद महिलाओं को एनडीए में प्रवेश का अवसर मिला, और 2022 में पहला बैच एकेडमी में दाखिल हुआ। अब दो वर्षों की कड़ी ट्रेनिंग, अनुशासन और आत्मबल के साथ ये 17 युवतियाँ उस मोड़ पर खड़ी हैं, जहाँ से उनका अगला कदम सीधे राष्ट्र सेवा की ओर जाएगा।
इनकी वर्दियाँ सिर्फ रंग नहीं, बदलाव की पहचान हैं। ये परेड सिर्फ सैन्य परंपरा नहीं, एक प्रेरणा बन चुकी है – जो कहती है: अब बेटियाँ भी सरहद की सच्ची साथी हैं।