राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी स्थापना वर्ष 2008 से लेकर अब तक देश में आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़े कुल 692 मामले दर्ज किए हैं। एजेंसी द्वारा प्रस्तुत नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 172 मामलों में अदालतों ने अपने निर्णय सुना दिए हैं। इन फैसलों में 92.44 प्रतिशत की उल्लेखनीय दोषसिद्धि दर दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अपराधों की जांच में एनआईए की दक्षता और मजबूती को दर्शाती है।
एनआईए देश की प्रमुख आतंकवाद-रोधी जांच एजेंसी है, जिसे विशेष रूप से जटिल और अंतरराज्यीय स्वरूप के मामलों की जांच के लिए गठित किया गया था। वर्षों में एजेंसी ने न केवल अपनी तकनीकी क्षमताओं को मजबूत किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विभिन्न देशों और एजेंसियों के साथ सहयोग बढ़ाया है। यही कारण है कि आतंक से जुड़े बड़े नेटवर्क को ध्वस्त करने में एनआईए लगातार सफल रही है।
आंकड़ों के अनुसार, जिन 172 मामलों में फैसला सुनाया गया, उनमें से अधिकांश मामलों में अपराधियों को कठोर सजा मिली है। विशेषज्ञों का मानना है कि एनआईए की उच्च दोषसिद्धि दर इस बात का प्रमाण है कि एजेंसी जाँच के दौरान साक्ष्यों के संग्रह, डिजिटल ट्रैकिंग, फोरेंसिक विश्लेषण और गवाहों की सुरक्षा जैसे पहलुओं पर अत्यंत गंभीरता और पेशेवर तरीके से काम करती है।
एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि बढ़ते साइबर-आधारित अपराधों और सीमा पार आतंकी गतिविधियों को देखते हुए जांच पद्धति में लगातार नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। सरकार की ओर से भी कानूनी ढांचे को समय-समय पर सुदृढ़ किया जा रहा है, ताकि एनआईए को जांच के दौरान किसी प्रकार की बाधा का सामना न करना पड़े।
एनआईए की अब तक की उपलब्धियाँ न केवल इसकी कार्यकुशलता को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि देश में सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और आधुनिक तकनीक से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और अधिक प्रभावी होती जा रही है।





