अल्मोड़ा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अल्मोड़ा प्रवास के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदेश के विकास और सांस्कृतिक उत्थान को लेकर अपनी सरकार का विजन साझा किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार उत्तराखंड को केवल एक पर्यटन स्थल के रूप में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर ‘आध्यात्मिक राजधानी’ के रूप में स्थापित करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है।
मुख्य बिंदु और घोषणाएं
- सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि की प्राचीन संस्कृति और मंदिरों का जीर्णोद्धार उनकी प्राथमिकता है। इसके लिए ‘मानसखंड मंदिर मिशन’ के तहत कुमाऊं के पौराणिक मंदिरों को संवारा जा रहा है।
- कनेक्टिविटी पर जोर: आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सड़कों के जाल और हवाई सेवाओं के विस्तार पर चर्चा की गई, ताकि श्रद्धालुओं को सुगम अनुभव मिल सके।
- स्थानीय रोजगार और होमस्टे: मुख्यमंत्री ने युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए होमस्टे योजना और स्थानीय उत्पादों (जीआई टैग प्राप्त उत्पादों) को बढ़ावा देने की बात कही।
- कड़े कानूनों का उल्लेख: उन्होंने राज्य में लागू किए गए सख्त धर्मांतरण कानून और नकल विरोधी कानून को सुशासन की दिशा में बड़ा कदम बताया।
विकास और विरासत का संगम
मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि उत्तराखंड का विकास ‘पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था’ (Ecology and Economy) के संतुलन के साथ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अयोध्या और काशी का कायाकल्प हुआ है, उसी तर्ज पर उत्तराखंड के जागेश्वर धाम, आदि कैलाश और अन्य सिद्धपीठों को विश्व पटल पर नई पहचान दिलाई जा रही है।
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह दशक उत्तराखंड का दशक होगा। हम देवभूमि की मर्यादा और दिव्यता को अक्षुण्ण रखते हुए इसे दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक केंद्र बनाएंगे।” — पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
अल्मोड़ा के लिए विशेष विजन
अल्मोड़ा को कुमाऊं की सांस्कृतिक नगरी बताते हुए मुख्यमंत्री ने यहाँ के पारंपरिक हस्तशिल्प और तांबा उद्योग को पुनर्जीवित करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा की पहचान को और सशक्त करने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के 882 घरों में अब चमकेगी बिजली, UPCL ने शुरू किया सर्वे
देहरादून/पिथौरागढ़: उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। चीन सीमा से लगे अत्यंत दुर्गम इलाकों के 882 घरों को अब पहली बार बिजली कनेक्शन से जोड़ने की तैयारी शुरू हो गई है। उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने इन चिन्हित घरों तक बिजली पहुँचाने के लिए विस्तृत सर्वे का काम शुरू कर दिया है।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत विकास
यह पहल केंद्र सरकार के ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सीमावर्ती गांवों से पलायन रोकना और वहां रहने वाले नागरिकों को मुख्यधारा की सुविधाओं से जोड़ना है।
- सर्वे की शुरुआत: UPCL के अधिकारियों ने चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जिलों के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सर्वे दल भेजे हैं।
- भौगोलिक चुनौती: ये सभी 882 घर उन इलाकों में स्थित हैं जहाँ सड़कें पहुँचानी भी चुनौतीपूर्ण हैं। इन क्षेत्रों में अभी तक बिजली की ग्रिड लाइन नहीं पहुँच पाई थी।
- तकनीकी योजना: विभाग इन क्षेत्रों में पारंपरिक बिजली की लाइनों के साथ-साथ सौर ऊर्जा (Solar Power) और छोटे माइक्रो-हाइडल प्रोजेक्ट्स के विकल्पों पर भी विचार कर रहा है।
पलायन रोकने और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण
सीमावर्ती गांवों में बिजली पहुँचने से न केवल स्थानीय निवासियों का जीवन स्तर सुधरेगा, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- पलायन पर अंकुश: बिजली, इंटरनेट और संचार की सुविधा मिलने से सीमांत क्षेत्रों में हो रहा पलायन कम होगा।
- पर्यटन को बढ़ावा: होमस्टे और स्थानीय पर्यटन व्यवसायों को बिजली मिलने से नई गति मिलेगी।
- सुरक्षा बलों को मदद: इन गांवों के सक्रिय रहने से सीमा पर निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था में भी अप्रत्यक्ष रूप से मदद मिलती है।
“सरकार का लक्ष्य राज्य के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक विकास पहुँचाना है। सीमावर्ती गांवों का विद्युतीकरण हमारी प्राथमिकता है ताकि वहां के लोग अपनी जड़ों से जुड़े रहें।” — शासकीय प्रवक्ता, उत्तराखंड सरकार
अगले चरण की तैयारी
UPCL के अनुसार, सर्वे की रिपोर्ट तैयार होते ही विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) शासन को भेजी जाएगी। इसके बाद बजट आवंटित होते ही युद्ध स्तर पर बिजली की लाइनें बिछाने और ट्रांसफार्मर लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। उत्तरकाशी की नीलांग घाटी और पिथौरागढ़ की व्यास घाटी के कई टोकों (स्तियों) को इस योजना से सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है।





