तेहरान/वियना। पश्चिम एशिया में तनाव के बीच ईरान ने एक बार फिर अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की घोषणा कर दी है। इसी क्रम में ईरान और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बीच एक नया समझौता हुआ है। समझौते के तहत ईरान अपने कुछ परमाणु संस्थानों का निरीक्षण करने की अनुमति देगा और पारदर्शिता बरतने का भरोसा दिलाएगा।
समझौते की मुख्य बातें
IAEA के अधिकारियों ने बताया कि इस समझौते के तहत ईरान में परमाणु ऊर्जा से जुड़े कई अहम प्रतिष्ठानों का नियमित निरीक्षण किया जाएगा। उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ईरान का कार्यक्रम सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों, जैसे बिजली उत्पादन और अनुसंधान तक ही सीमित रहे, न कि हथियार बनाने की दिशा में।
ईरान का पक्ष
ईरानी नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि उनका इरादा परमाणु हथियार बनाने का नहीं है, बल्कि देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग करना है। ईरान ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समझौतों का पालन करने के लिए तैयार है, लेकिन उसके वैज्ञानिक और तकनीकी विकास पर किसी तरह का प्रतिबंध स्वीकार्य नहीं होगा।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
अमेरिका और यूरोपीय देशों ने लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर संदेह जताया है। 2015 में हुआ ऐतिहासिक परमाणु समझौता (JCPOA) ट्रंप प्रशासन के दौरान पटरी से उतर गया था। इसके बाद ईरान ने अपनी गतिविधियां तेज कीं और पश्चिमी देशों ने उस पर कई प्रतिबंध लगाए। अब IAEA के साथ यह नई पहल तनाव कम करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
निरीक्षण की अहमियत
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर IAEA को ईरानी परमाणु संस्थानों में पारदर्शी और बार-बार प्रवेश मिलता है, तो यह विश्वास बहाली का संकेत होगा। साथ ही, यह पश्चिमी देशों की उन आशंकाओं को भी कम करेगा कि कहीं ईरान गुपचुप तरीके से हथियार बनाने की कोशिश न कर रहा हो।