पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान पर बड़े सैन्य हमले का दावा करने के बाद दुनिया भर में सनसनी फैल गई। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा था कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें पूरी तरह तबाह कर दिया है। हालांकि ईरान ने इन दावों को खारिज करते हुए नुकसान की खबरों को “बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया” बताया।
लेकिन अब इस मामले पर अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हमले की पुष्टि करते हुए वीडियो फुटेज और तकनीकी ब्योरे साझा किए, जिससे साफ हो गया है कि ट्रंप के दावे पूरी तरह निराधार नहीं थे।
बंकर बस्टर बमों से किया गया हमला
पेंटागन की ओर से रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल डैन केन ने जानकारी दी कि इस हमले में अत्याधुनिक ‘बंकर बस्टर’ बमों का इस्तेमाल किया गया। ये बम जमीन की सतह से सैकड़ों फीट नीचे जाकर विस्फोट करते हैं, जिससे सतह पर बड़ा प्रभाव न दिखे लेकिन नीचे मौजूद संरचनाएं नष्ट हो जाती हैं।
पेंटागन के मुताबिक:
- कुल 12 बंकर बस्टर बम उपयोग में लाए गए।
- पहले बम ने वेंटिलेशन शाफ्ट को खोलने का काम किया, जिससे बाकी बम सीधे भीतर जा सके।
- बमों की गति 1000 फीट प्रति सेकंड थी, जिससे परमाणु केंद्रों की सुरक्षा प्रणाली बेअसर हो गई।
किन ठिकानों को बनाया गया निशाना?
- नतांज परमाणु संयंत्र पर दो पेनेट्रेटर बम गिराए गए।
- इस्फहान में अमेरिकी नेवी की पनडुब्बी से मिसाइल दागी गई।
- फोर्डो प्लांट पर हमले की योजना पिछले 15 वर्षों से तैयार की जा रही थी।
पेंटागन ने फिलहाल इस्फहान की सुरंगों में छिपाए गए 880 पाउंड यूरेनियम पर किसी भी स्थिति की स्पष्ट पुष्टि नहीं की है।
ईरान की प्रतिक्रिया सीमित
ईरानी सरकार ने हमले की पुष्टि तो नहीं की, लेकिन कहा कि “संरचनात्मक नुकसान न्यूनतम है”। स्थानीय मीडिया में भी केवल मामूली क्षति की खबरें सामने आईं, जिससे ट्रंप के दावों को लेकर शंका पैदा हुई थी।
ट्रंप के दावों पर दो राय
जहां डोनाल्ड ट्रंप ने हमले को अपनी रणनीतिक उपलब्धि बताया, वहीं रक्षा अधिकारियों ने इसे एक सैन्य कार्रवाई बताया जो पहले से निर्धारित योजना का हिस्सा थी।
- पीट हेगसेथ ने ट्रंप की तारीफ करते हुए कहा कि यह “अमेरिकी सैन्य ताकत और नेतृत्व की मिसाल” है।
- जनरल डैन केन ने राजनीतिक टिप्पणी से बचते हुए केवल तकनीकी विवरण साझा किए।
अमेरिका-ईरान रिश्तों में फिर बढ़ा तनाव
इस खुलासे के बाद अमेरिका और ईरान के बीच संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो सकते हैं। यह हमला उस समय हुआ है जब दोनों देशों के बीच पहले से ही परमाणु समझौते को लेकर खिंचाव चल रहा था। ऐसे में कूटनीतिक बातचीत की संभावनाएं भी और जटिल हो सकती हैं।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप के दावे को पहले भले ही लोगों ने बड़बोलापन माना हो, लेकिन पेंटागन की ओर से पेश किए गए सबूतों और तकनीकी विवरणों ने यह साबित कर दिया है कि ईरान पर हमला वास्तविक था और गहरी रणनीति के तहत अंजाम दिया गया। हालांकि अब भी यह सवाल कायम है कि इस हमले का अंतिम उद्देश्य क्या था — एक चेतावनी, सैन्य दबाव या फिर चुनावी राजनीतिक चाल?
“असली तबाही आंखों से नहीं, ज़मीन के नीचे हुई” — अमेरिका का दावा अब तस्वीरों के साथ सामने है।