राज्य के आयुर्वेद कॉलेजों में इस शैक्षणिक सत्र प्रवेश प्रक्रिया सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रही है। अब तक केवल 600 छात्रों ने ही प्रवेश के लिए आवेदन किया है, जबकि आयुर्वेद कोर्सों में सीटें भरने की संख्या इससे कई गुना अधिक है। इस कारण विभाग के सामने इस बार सीटें भरने की चुनौती खड़ी हो गई है।
राज्यभर के सरकारी और निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों में बीएएमएस, बीयूएमएस और बीएसएमएस जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए सैकड़ों सीटें उपलब्ध हैं। लेकिन इस वर्ष आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल इस समय तक एक हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके थे, जबकि इस बार यह संख्या आधी रह गई है।
कम आवेदन के पीछे कई कारण
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार आवेदन में गिरावट के पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण एनईईटी (NEET) की कड़ी प्रतिस्पर्धा और अन्य चिकित्सा कोर्सों में छात्रों का झुकाव बताया जा रहा है। इसके अलावा, कुछ छात्रों ने अभी तक परामर्श प्रक्रिया (काउंसलिंग) का इंतजार करना शुरू कर दिया है।
साथ ही, आयुर्वेद कोर्सों में नौकरी की सीमित संभावनाएं और लंबे अध्ययनकाल को लेकर भी छात्रों में संशय बना हुआ है।
कॉलेज प्रबंधन चिंतित, विभाग ने बढ़ाई सक्रियता
आवेदन संख्या कम रहने से कॉलेज प्रशासन में भी चिंता है। आयुर्वेद शिक्षा निदेशालय ने कॉलेजों को निर्देश दिया है कि वे विद्यार्थियों को कोर्सों की उपयोगिता और रोजगार संभावनाओं के बारे में अधिक जानकारी दें। इसके साथ ही, प्रचार-प्रसार बढ़ाने और छात्रों से सीधे संवाद करने की योजना भी बनाई जा रही है।
प्रवेश प्रक्रिया जारी
फिलहाल आवेदन प्रक्रिया चल रही है और विभाग को उम्मीद है कि अंतिम तिथि तक आवेदन संख्या में वृद्धि होगी। आयुर्वेद विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एनईईटी की दूसरी और तीसरी काउंसलिंग के बाद छात्रों की रुचि बढ़ सकती है, जिससे शेष सीटें भरी जा सकेंगी।
छात्रों के लिए अवसर
आयुर्वेदिक चिकित्सा में बढ़ते वैश्विक रुझान और वैकल्पिक उपचार पद्धतियों के प्रति लोगों की बढ़ती रुचि को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र आने वाले समय में व्यापक संभावनाएं लेकर आएगा। विभाग ने छात्रों से अपील की है कि वे परंपरागत चिकित्सा पद्धति को अपनाने में झिझक न दिखाएं।