नई दिल्ली। लाल किले के पास सोमवार शाम हुए धमाके की गुत्थी आखिरकार सुलझ गई है। जांच एजेंसियों ने पुष्टि की है कि धमाके वाली कार पुलवामा निवासी आतंकी डॉक्टर उमर नबी ही चला रहा था। कार में धमाके के बाद बुरी तरह जले शव के डीएनए नमूने उमर की मां के डीएनए से मैच हो गए हैं।
एनआईए और दिल्ली पुलिस को बुधवार देर रात मिली रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि उमर नबी कार में ही मौजूद था और विस्फोट में उसकी मौत हो गई थी। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि उमर 6 दिसंबर, बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के दिन, दिल्ली में मुंबई 26/11 जैसे आतंकी हमले को अंजाम देने की फिराक में था।
जांच एजेंसियों के अनुसार, उमर और उसके साथियों के निशाने पर लाल किला, इंडिया गेट, कॉन्स्टीट्यूशन क्लब और गौरी शंकर मंदिर जैसे प्रमुख स्थल थे। साथ ही देशभर के रेलवे स्टेशन और शॉपिंग मॉल्स को भी निशाना बनाने की योजना थी।
फरीदाबाद से पकड़े गए ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ से जुड़े आठ संदिग्धों से पूछताछ में यह पूरी साजिश सामने आई।
जांच में यह भी सामने आया कि उमर का साथी डॉ. मुजम्मिल गनई जनवरी में कई बार लाल किला क्षेत्र की रेकी (जासूसी निगरानी) कर चुका था। उसके मोबाइल फोन डंप डेटा और सीसीटीवी फुटेज से यह पुष्टि हुई है।
टावर लोकेशन और अन्य साक्ष्य बताते हैं कि दोनों आतंकी सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ के पैटर्न को समझने के लिए कई बार वहां गए थे।
इसके अलावा, दोनों के पासपोर्ट से तुर्किये (Turkey) के आव्रजन टिकट भी मिले हैं। एजेंसियां जांच कर रही हैं कि क्या दोनों वहां किसी विदेशी हैंडलर से मिले थे।
तुर्किये सरकार ने हालांकि इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि वह आतंकी गतिविधियों में शामिल नहीं है और भारत के साथ सहयोग के लिए तैयार है।
फोरेंसिक टीम ने धमाके स्थल से अब तक 40 से अधिक नमूने एकत्र किए हैं। एफएसएल (FSL) ने इन नमूनों की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई है, जो लगातार 24 घंटे काम कर रही है।
मौके से दो कारतूस और दो तरह के विस्फोटक पदार्थों के नमूने भी मिले हैं, जिनकी जांच जारी है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि शवों पर सिर और सीने पर गंभीर चोटें, हड्डियां टूटने और अत्यधिक रक्तस्राव (ब्लीडिंग) की वजह से मौत हुई। शरीर या कपड़ों पर किसी छर्रे या गोली के निशान नहीं मिले हैं।
धमाके के बाद अल फलाह विश्वविद्यालय भी शक के घेरे में आया, क्योंकि गिरफ्तार दोनों डॉक्टरों का संबंध वहीं से बताया जा रहा था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा,
“गिरफ्तार दोनों डॉक्टरों से हमारा सिर्फ पेशेवर संबंध था। हम इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से व्यथित हैं। हमारा संस्थान राष्ट्र के साथ एकजुटता से खड़ा है और हर तरह की जांच में सहयोग कर रहा है।”
जांच एजेंसियों का मानना है कि उमर और उसके साथियों की यह आतंकी साजिश 26 जनवरी और 6 दिसंबर जैसे संवेदनशील अवसरों पर बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाने की थी, जो समय रहते विफल कर दी गई।
डीएनए रिपोर्ट के साथ अब यह स्पष्ट है कि दिल्ली लाल किला धमाका उसी नेटवर्क का हिस्सा था, जिसे फरीदाबाद मॉड्यूल ने अंजाम देने की तैयारी की थी।





