एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने अपने ही गठबंधन के नेता संजय राउत को लताड़ लगाई है। उन्होंने शिवेसना यूबीटी के नेता संजय राउत को सलाह दी कि जब भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, तो उसके बीच स्थानीय राजनीति को नहीं लाया जाना चाहिए। गौरतलब है कि संजय राउत ने एक दिन पहले ही केंद्र सराकर द्वारा सांसदों का सर्वदलीय दल विभिन्न देशों को भेजने की आलोचना की थी और इंडी गठबंधन की पार्टियों से केंद्र सरकार के इस कदम का बहिष्कार करने की अपील की गई थी।
महाराष्ट्र के बारामती में मीडिया से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘जब अंतरराष्ट्रीय मुद्दे आते हैं तो पार्टी स्तर की राजनीति को पीछे छोड़ देना चाहिए। आज केंद्र सरकार ने कुछ प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है और उन्हें विदेशों में जाकर पहलगाम आतंकी हमले और पाकिस्तान की गतिविधियों पर भारत का पक्ष रखने की जिम्मेदारी दी गई है।’ पवार ने याद करते हुए कहा कि वह भी पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव द्वारा गठित एक दल के साथ संयुक्त राष्ट्र गए थे, जिसका नेतृत्व पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने रविवार को अपने एक बयान में कहा था कि विपक्षी इंडी गठबंधन में शामिल दलों को आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता दर्शाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न देशों में भेजे जा रहे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का बहिष्कार करना चाहिए था। राउत ने आरोप लगाया कि यह प्रतिनिधिमंडल सरकार द्वारा किए गए ‘पापों और अपराधों’ का बचाव करेगा। उन्होंने कहा, ‘ऐसे प्रतिनिधिमंडल को भेजने की कोई आवश्यकता नहीं थी, वह भी सरकार के खर्चे पर। ये वहां करेंगे क्या? हमारे पास विदेशों में राजदूत हैं, वे अपना काम कर रहे हैं। इंडिया गठबंधन को इसका बहिष्कार करना चाहिए था। वे सरकार द्वारा बिछाए गए जाल में फंस रहे हैं। आप देश का नहीं, सरकार द्वारा किए गए पापों का बचाव करने जा रहे हैं।’ राउत के बयान पर पवार ने कहा कि ‘उन्होंने अपने विचार रखे, लेकिन मैं देख रहा हूं कि उनकी पार्टी के भी एक सदस्य प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। मुझे लगता है कि इस मामले में स्थानीय राजनीति से दूर रखना चाहिए।’
केंद्र सरकार के इस प्रयास के तहत 51 राजनीतिक नेता, सांसद और पूर्व मंत्री सात प्रतिनिधिमंडलों में शामिल होकर 32 देशों और यूरोपीय संघ मुख्यालय (ब्रसेल्स) की यात्रा करेंगे ताकि वैश्विक मंच पर भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति पर अपना पक्ष रखा जा सके। इन सात प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व बैजयंत पांडा, रविशंकर प्रसाद (दोनों बीजेपी), संजय कुमार झा (जेडीयू), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना), शशि थरूर (कांग्रेस), कनिमोझी (डीएमके) और सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी) कर रहे हैं। इनमें 31 नेता एनडीए से और 20 गैर-एनडीए दलों से हैं।