Tuesday, December 30, 2025

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आगामी बजट की तैयारी: पीएम मोदी आज दिग्गज अर्थशास्त्रियों के साथ करेंगे मंथन, आर्थिक विकास की रणनीति पर होगी चर्चा

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगे। नीति आयोग द्वारा आयोजित इस बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी केंद्रीय बजट के लिए सुझाव जुटाना और भारतीय अर्थव्यवस्था को $5$ ट्रिलियन की राह पर तेजी से ले जाने के लिए रोडमैप तैयार करना है।

किन प्रमुख मुद्दों पर होगी बात?

सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में प्रधानमंत्री विशेषज्ञों के साथ देश की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए कई अहम बिंदुओं पर चर्चा करेंगे:

  • विकसित भारत @2047: भारत को साल 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए मध्यम और दीर्घकालिक नीतियों पर विमर्श होगा।
  • महंगाई और रोजगार: घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के नए अवसर पैदा करने पर विशेष जोर दिया जाएगा।
  • कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था: खेती की लागत कम करने और ग्रामीण क्षेत्रों में क्रय शक्ति (Purchasing Power) बढ़ाने के लिए उपायों पर सुझाव मांगे जाएंगे।
  • निवेश को बढ़ावा: वैश्विक मंदी की आहट के बीच भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को आकर्षित करने और निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स सुधारों पर भी बात हो सकती है।

बैठक में कौन होगा शामिल?

इस महत्वपूर्ण संवाद में नीति आयोग के उपाध्यक्ष, मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA), वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और देश के प्रमुख थिंक-टैंक्स के अर्थशास्त्री शामिल होंगे। प्रधानमंत्री इन विशेषज्ञों से सीधे फीडबैक लेंगे कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत अपनी विकास दर को $7\%$ से ऊपर कैसे बनाए रख सकता है।

बजट 2025-26 की झलक

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक से निकलने वाले निष्कर्षों की झलक आगामी बजट में देखने को मिलेगी। सरकार का प्रयास है कि राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को नियंत्रित रखते हुए जनकल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचे (Infrastructure) के विकास के बीच संतुलन बिठाया जाए।

महत्वपूर्ण क्यों है यह बैठक?

यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर सरकार औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने, निर्यात (Export) को रफ्तार देने और एमएसएमई (MSME) क्षेत्र को मजबूती देने के लिए विशेष प्रावधान कर सकती है।

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