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उत्तराखंड में प्रधानाचार्य पद पर विभागीय सीधी भर्ती के...

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कुमाऊं : कैसे हुआ नामकरण

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नंदा देवी जात यात्रा – देवभूमि की अमृत धारा

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व्यक्तितव

वीर सिपाही शहीद केसरी चंद

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The World of Raghu Rai: His Photography & Life

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ताना-बाना

उत्तराखंड में हुए एक सीक्रेट मिशन का खतरा आज भी बरकरार

बात 1965 की है,  जब वियतनाम युद्ध तेज हो रहा...

पनीर ने रोका पलायन : रौतू कीबेली गाँव

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बसे गाँवों में रोज़गार...

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Friday, July 25, 2025

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आंध्र-गुजरात में इस साल शुरू होंगे देश के पहले बल्क ड्रग पार्क

भारत में इसी साल पहले दो बल्क ड्रग पार्क गुजरात और आंध्र प्रदेश में शुरू होंगे। करीब पांच वर्ष से जारी प्रयासों के बाद थोक औषधियों और सक्रिय औषधि अवयवों (एपीआई) के आयात पर भारत की निर्भरता अब लगभग खत्म होगी। इसके साथ ही आम बजट में घोषित 36 जीवन रक्षक दवाओं को सरकार ने सीमा शुल्क से बाहर रखने का आदेश जारी करते हुए फार्मा कंपनियों से दवा मूल्य का संशोधन करने के लिए कहा है। केंद्रीय फार्मास्यूटिकल्स विभाग के अनुसार, इस साल गुजरात के भरूच और आंध्र के अनकापल्ली में बल्क ड्रग पार्क चालू हो जाएंगे। इसके लिए बल्क ड्रग निर्माताओं को भूमि और अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं। प्रत्येक बल्क ड्रग पार्क के लिए केंद्र की ओर से करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए।दरअसल बल्क ड्रग्स यानी थोक औषधियों को सक्रिय फार्मास्युटिकल अवयव (एपीआई) के रूप में जानते हैं जिनके जरिए दवाओं के फार्मूलेशन बनाने में किया जाता है। अभी तक काफी संख्या में एपीआई को बाहरी देशों से मंगाया जाता है, जिसकी वजह से दवा का उत्पादन और बाजार में उसका शुल्क अधिक हो जाता है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में बल्क ड्रग पार्क शुरू होने के बाद यह सभी एपीआई का भारत में उत्पादन होगा और यहीं से दवाएं बनाई जाएगीं। उत्पादन लागत कम होने का सबसे बड़ा लाभ मरीजों को सस्ती दवाओं के रूप में मिलेगा। विभाग के सचिव अमित अग्रवाल ने बताया कि साल 2020 में केंद्र सरकार ने तीन बल्क ड्रग पार्क बनाने की घोषणा की। इसके चलते हमें 15 राज्यों से आवेदन प्राप्त हुए जिनकी समीक्षा के बाद गुजरात, आंध्र प्रदेश के अलावा हिमाचल प्रदेश का नाम तय हुआ। तब से यहां पार्क बनाने की गतिविधियां काफी तेजी से चल रही हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि इस साल में गुजरात और आंध्र प्रदेश के रूप में भारत को पहले दो बल्क ड्रग पार्क प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि दवा उत्पादन को लेकर भारत की आत्मनिर्भरता के मामले में काफी तेजी से बदलाव हो रहे हैं। पेनिसिलिन-जी और क्लैवुलैनीक एसिड जैसी अहम एंटीबायोटिक दवाओं का उत्पादन अब भारत में होने लगा है। इसी तरह टीबी संक्रमण के उपचार में इस्तेमाल रिफैम्पिसिन दवा भी फिर से भारत में बनेगी।सचिव अमित अग्रवाल ने बताया कि बायोसिमिलर औषधियों के उभरते क्षेत्र में भारत अब वैश्विक नेता के रूप में आगे बढ़ रहा है। अभी तक 98 तरह के मंजूर बायोसिमिलर का उत्पादन भारत में होने लगा है। वहीं 40 से ज्यादा अभी क्लीनिकल परीक्षण की स्थिति में है। बायोसिमिलर औषधि एक जैविक औषधि है जो पहले से स्वीकृत जैविक औषधि के समान होती है। जीवित जीवों, जैसे कोशिकाओं या सूक्ष्मजीवों से बनाए जाते हैं। इसी तरह सालाना 54 हजार से अधिक नैदानिक परीक्षण और चार लाख से अधिक एआई संबंधित कर्मचारियों की क्षमता की बदौलत दुनिया में भारत दूसरा सबसे बड़ा एआई प्रतिभा पूल वाला देश बना है।

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