सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वत माला वाले राज्यों को शीर्ष अदालत की पूर्व मंजूरी के बिना खनन पट्टों के नवीनीकरण की अनुमति देने पर रोक लगा दी है। अरावली पर्वत माला की पहाड़ियां दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात तक फैली हैं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ खनन लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए दो नए आवेदनों पर मंगलवार को सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने संबंधित राज्य सरकारों को विभिन्न प्राधिकरणों से वैधानिक मंजूरी प्राप्त करने सहित पट्टों के नवीनीकरण के प्रस्तावों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। साथ ही, कहा कि इस अदालत की पूर्व मंजूरी प्राप्त किए बिना दूसरे खनन पट्टों के नवीनीकरण के लिए कोई अंतिम अनुमति नहीं दी जाएगी। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को वस्तुतः अपने 9 मई के आदेश को ही दोहराया। 9 के फैसले में अदालत ने अरावली रेंज के राज्य वैधानिक मंजूरी प्राप्त करने सहित खनन पट्टों के अनुदान और नवीनीकरण के लिए आवेदनों पर विचार करने और संसाधित करने की स्वतंत्रता दी थी। साथ ही कहा था कि भारत वन सर्वेक्षण की 25 अगस्त, 2010 की रिपोर्ट में परिभाषित पहाड़ी रेंज में खनन के लिए कोई अंतिम अनुमति न्यायालय की मंजूरी के बिना नहीं दी जाएगी।