Wednesday, November 12, 2025

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अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की सख्त नई गाइडलाइन जारी

वॉशिंगटन। अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने आव्रजन नीति को लेकर एक बार फिर सख्ती दिखाते हुए नई गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन के तहत अब वीजा और स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) प्रदान करने के लिए आवेदकों की आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रमुख मानदंड होंगे। प्रशासन का कहना है कि नई नीति का उद्देश्य अमेरिका पर “सामाजिक और आर्थिक बोझ” कम करना है।
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, इमिग्रेशन अथॉरिटीज अब यह आकलन करेंगी कि कोई भी विदेशी नागरिक अमेरिका में प्रवेश या स्थायी निवास लेने के बाद सार्वजनिक कल्याण योजनाओं — जैसे स्वास्थ्य सहायता, खाद्य सब्सिडी या आवास लाभ — पर निर्भर तो नहीं रहेगा। यदि किसी व्यक्ति को “संभावित सार्वजनिक बोझ” (Public Charge) की श्रेणी में माना गया, तो उसका आवेदन अस्वीकार किया जा सकेगा।
गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि आवेदक की आर्थिक स्थिरता, नौकरी की स्थिति, शैक्षणिक योग्यता, बीमा कवरेज, और स्वास्थ्य रिपोर्ट का विस्तृत मूल्यांकन किया जाएगा। प्रशासन का मानना है कि केवल वही प्रवासी देश में दीर्घकालिक योगदान दे पाएंगे जो आत्मनिर्भर हों और स्वास्थ्य की दृष्टि से सक्षम हों।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा, “अमेरिकी जनता उन नीतियों की हकदार है जो देश के संसाधनों की रक्षा करें। हमारी प्राथमिकता ऐसे आव्रजकों को प्रोत्साहित करना है जो मेहनती, कुशल और आत्मनिर्भर हों।”
नई नीति को लेकर विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने आलोचना की है। उनका कहना है कि यह नियम गरीब देशों से आने वाले प्रवासियों के लिए अत्यधिक कठोर साबित होंगे और इससे हजारों योग्य लोगों के अवसर सीमित हो जाएंगे। डेमोक्रेटिक नेताओं ने इसे “मानवता के विरुद्ध” बताते हुए अदालत में चुनौती देने की बात कही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बदलाव से भारतीय, मैक्सिकन और अफ्रीकी देशों के आवेदकों पर भी असर पड़ सकता है, खासकर उन लोगों पर जो छात्र या कार्य वीजा से अमेरिका में रह रहे हैं और स्थायी निवास के लिए आवेदन करने की योजना बना रहे हैं।
ट्रंप प्रशासन का यह कदम अमेरिकी आव्रजन नीतियों को और अधिक प्रतिबंधित करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इससे पहले भी प्रशासन ने शरणार्थियों की संख्या घटाने, सीमा नियंत्रण को कड़ा करने और नागरिकता प्रक्रियाओं को सख्त बनाने जैसे कदम उठाए थे।
अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि नई गाइडलाइन का व्यापक असर न केवल अमेरिकी श्रम बाजार पर पड़ेगा, बल्कि वैश्विक प्रतिभा प्रवाह और विदेशों में शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों की योजनाओं पर भी दिखाई देगा।

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