अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों के बेहतर प्रतिनिधित्व के लिए अमेरिका ने हमेशा समर्थन किया है। अमेरिका लंबे समय से भारत, जापान और जर्मनी के लिए सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटों का समर्थन करता रहा है। 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ को संबोधित करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की जरूरत है। अमेरिका का मानना है कि इस सुधार में अफ्रीका के लिए दो स्थायी सीट, छोटे द्वीप वाले विकासशील देशों के लिए एक रोटेशनल सीट और लैटिन अमेरिका व कैरीबियाई देश के लिए स्थायी प्रतिनिधित्व शामिल होना चाहिए। देशों के लिए स्थायी सीटों के अलावा, हमने लंबे समय से जर्मनी, जापान और भारत का समर्थन किया है। ब्लिंकन ने कहा, अमेरिका यूएनएससी में सुधार पर तुरंत वार्ता शुरू करने का समर्थन करता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका यूएन की प्रणाली को इस दुनिया के अनुरूप ढालने के लिए प्रतिबद्ध है, जो वर्तमान और भविष्य की वास्तविकता को दर्शाए। उन्होंने कहा कि, संयुक्त राज्य अमेरिका परिषद में सुधारों पर तत्काल बातचीत शुरू करने का समर्थन करता है।
ब्लिंकन ने संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को विश्व को प्रभावित करने वाली वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति को प्रतिबिंबित करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता व्यक्त की। हालांकि, उन्होंने ऐसे किसी भी संशोधन का कड़ा विरोध किया, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांत को बदल सकता हो। उल्लेखनीय है कि भारत विकासशील देशों के हितों का बेहतर प्रतिनिधित्व करने के लिए सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की मांग लंबे समय से कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन से भारत की इस मांग को गति मिली है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में 15 सदस्य देश हैं। जिनमें वीटो पावर वाले पांच स्थायी सदस्य और दो साल के कार्यकाल के लिए चुने गए दस गैर-स्थायी सदस्य शामिल हैं। यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में चीन, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्यों को यूएनजीए द्वारा 2 साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है।