नागरिकता संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद से कई राजनीतिक दल इसके खिलाफ हैं। युवजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के विधायक अब्दुल हफीज खान ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी ने मौजूदा स्वरूप में इस अधिनियम का दृढ़ता से विरोध किया और मांग की कि केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय की वैध चिंताओं को दूर करने के लिए इसमें संशोधन करे। खान ने दावा किया, ‘सीएए बाद में एनआरसी (नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर) और एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) पर निर्भर हो सकता है। एनआरसी या एनपीआर में अगर कोई भारतीय मुस्लिम अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाएगा तो उस पर सीएए लागू नहीं होगा। हालांकि, यदि किसी अन्य धर्म के व्यक्ति को ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ता है, तो CAA लागू होगा और उसे सुरक्षा प्रदान करेगा।’ गुंटूर जिले के ताडेपल्ली में कुरनूल विधायक वाईएसआरसीपी कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में पहुंचे। यहां उन्होंने संबोधन में कहा कि कानून के मौजूदा स्वरूप में कार्यान्वयन से मुस्लिम समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राज्य की सत्ताधारी पार्टी के विधायक के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय इस बात को लेकर काफी परेशान है कि उन्हें एनआरसी या एनपीआर के जरिए निशाना बनाया जा सकता है और सीएए उनकी रक्षा नहीं कर सकता। इसलिए, उन्होंने केंद्र सरकार से मुस्लिम समुदाय की वैध चिंताओं को दूर करने के लिए कानून में संशोधन करने का अनुरोध किया।