देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता (UCC) को राज्य के साथ-साथ पूरे देश के लिए एक युगांतरकारी कदम बताया है। एक हालिया कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि UCC केवल कानून नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के बच्चों और महिलाओं को सशक्त बनाने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कानून के लागू होने से मुस्लिम समाज के युवाओं को शिक्षा और करियर के क्षेत्र में प्रगति के समान अवसर प्राप्त होंगे।
शिक्षा और भविष्य पर केंद्रित विजन
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब तक कुछ रूढ़िवादी बाधाओं के कारण कई बच्चे मुख्यधारा की शिक्षा से दूर रह जाते थे।
- समान अधिकार: UCC के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विवाह, विरासत और अन्य नागरिक अधिकारों में समानता हो, जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित होगा।
- भेदभाव का अंत: उन्होंने कहा कि यह कानून किसी धर्म के विरुद्ध नहीं, बल्कि समानता के सिद्धांत पर आधारित है, जो मुस्लिम बेटियों और बेटों को आधुनिक शिक्षा की ओर प्रेरित करेगा।
- सामाजिक सुधार: CM धामी के अनुसार, यह कानून कुरीतियों को समाप्त कर एक ऐसे वातावरण का निर्माण करेगा जहां हर बच्चा अपनी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ सके।
‘उत्तराखंड बना मॉडल’
मुख्यमंत्री ने गौरव व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनकर एक मिसाल पेश कर रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि जिस तरह उत्तराखंड ने इस दिशा में पहल की है, आने वाले समय में अन्य राज्य भी इसका अनुसरण करेंगे।
- एक राष्ट्र, एक कानून: उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एक विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिए सभी नागरिकों के लिए समान कानून होना अनिवार्य है।
महिला सशक्तिकरण: UCC का सबसे बड़ा लाभ महिलाओं को मिलेगा, जिससे उनके भीतर सुरक्षा और आत्मविश्वास का भाव जागेगा, जिसका सीधा सकारात्मक प्रभाव उनके बच्चों की शिक्षा पर पड़ेगा।





