सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से कहा—”तैयार रहें, मतदाताओं से जुड़े तथ्यों और आंकड़ों पर सवाल होंगे।”
राजद सांसद मनोज झा व अन्य नेताओं की याचिकाओं में आरोप है कि लाखों योग्य मतदाता सूची से बाहर रह गए हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि कई मामलों में जीवित लोगों को मृत घोषित कर दिया गया और मृत लोगों को जीवित दिखाया गया।
चुनाव आयोग ने सफाई दी कि यह मसौदा सूची है, जिसमें त्रुटियां सुधारी जा सकती हैं। अदालत ने कहा—यह मामला बड़े पैमाने की गड़बड़ी से अधिक “भरोसे और धारणा” का है।
विपक्षी दलों और कई सामाजिक संगठनों ने आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती दी है। मसौदा सूची 1 अगस्त को प्रकाशित हुई थी, जबकि अंतिम सूची 30 सितंबर को जारी होगी।