बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासत गरमा गई है। विपक्षी दल इसे चुनाव आयोग और केंद्र सरकार की मिलीभगत करार देते हुए लोकतंत्र से छेड़छाड़ बता रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर INDIA गठबंधन ने 7 अगस्त को दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें सभी प्रमुख दलों के नेता मौजूद रहेंगे।
“SIR लोकतंत्र पर हमला” – कांग्रेस
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा,
“हम संसद के भीतर और बाहर SIR के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। चुनाव आयोग लोकतंत्र की नींव को सुनियोजित तरीके से कमजोर कर रहा है। बिहार में लाखों नाम मतदाता सूची से काट दिए गए हैं — ये कैसे निष्पक्ष चुनाव होंगे?”
उन्होंने जानकारी दी कि 5 अगस्त को बंगलूरू में चुनाव आयोग की गड़बड़ियों पर एक बड़ा खुलासा किया जाएगा, जिससे देश के सामने पूरी तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी।
बिहार में 65 लाख नाम हटाए जाने का दावा
बिहार में SIR प्रक्रिया के तहत तैयार की गई मसौदा मतदाता सूची में करीब 65 लाख नाम हटाए जाने की बात सामने आई है। इस मुद्दे को सबसे पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने उठाया था। उन्होंने यहां तक दावा किया कि उनका खुद का नाम भी मतदाता सूची से हटा दिया गया है।
चुनाव आयोग का खंडन, तेजस्वी पर गिरिराज का हमला
तेजस्वी के दावे के बाद चुनाव आयोग ने सबूतों के साथ यह दावा खारिज कर दिया और कहा कि उनका नाम मतदाता सूची में मौजूद है।
इसके बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तीखा पलटवार करते हुए कहा,
“राहुल गांधी और तेजस्वी यादव झूठ और भ्रम फैलाने की राजनीति कर रहे हैं। SIR जैसे संवेदनशील विषय पर झूठ बोलना संविधान और लोकतंत्र दोनों का अपमान है।”
क्या है SIR?
विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) एक नियमित प्रक्रिया है जिसमें मतदाता सूचियों को अपडेट किया जाता है। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि इस बार यह प्रक्रिया राजनीतिक प्रभाव में की गई और चुनाव से पहले चुनिंदा समुदायों को मतदाता सूची से बाहर किया गया है।
आगे क्या?
7 अगस्त को INDIA गठबंधन की दिल्ली में होने वाली बैठक को अहम माना जा रहा है, क्योंकि इसमें SIR के खिलाफ संसद से लेकर सड़क तक की रणनीति तय की जाएगी। वहीं, 5 अगस्त को बंगलूरू में प्रस्तावित खुलासा विपक्ष के हल्लाबोल को और धार दे सकता है।