विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कई अहम मुद्दों पर जानकारी दी। सबसे पहले पत्रकारों से बातचीत के दौरान हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के बैठक का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक संपन्न हुई। इसमें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिस्सा लिया और आतंकवाद के मुद्दे पर सभी सदस्य देशों से एकजुट होकर लड़ने की अपील की। हालांकि इस बैठक के बाद कोई संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका। जायसवाल ने बताया कि कुछ सदस्य देशों के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई, जिसकी वजह से दस्तावेज को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। जायसवाल ने बताया कि भारत चाहता था कि इस बयान में आतंकवाद और उससे जुड़ी चिंताओं को स्पष्ट रूप से शामिल किया जाए, लेकिन एक देश को यह मंजूर नहीं था, इसलिए सहमति नहीं बन पाई। रक्षा मंत्री ने अपने भाषण में 11 सदस्य देशों से आतंकवाद के सभी रूपों और स्वरूपों के खिलाफ मिलकर लड़ने की अपील की।
उन्होंने यह भी कहा कि आतंकी घटनाओं के दोषियों, योजनाकारों, वित्त देने वालों और समर्थन करने वालों को सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह सीमा पार से हो या कहीं और से। साथ ही बैठक में भारत ने स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसकी मुखर आलोचना करता रहेगा।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आगे तनावपूर्ण स्थिति में इस्राइल और ईरान से भारतीय नागरिकों की वापसी का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने ईरान और इस्राइल में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए 18 जून को ऑपरेशन सिंधु शुरू किया। इस अभियान के तहत हजारों भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाया गया है।
जयसवाल ने कहा कि ईरान में करीब 10,000 भारतीय थे। बढ़ते तनाव को देखते हुए ऑपरेशन सिंधु के तहत वहां से अब तक 3,426 भारतीय नागरिक, 11 ओसीआई कार्डधारक, 9 नेपाली नागरिक, कुछ श्रीलंकाई नागरिक, और एक ईरानी नागरिक, जो एक भारतीय नागरिक के पति हैं, को सुरक्षित निकाला गया। इसके लिए ईरान, आर्मेनिया और तुर्कमेनिस्तान से कुल 14 उड़ानें चलाई गईं।
जायसवाल ने आगे इस्राइल से निकाले गए भारतीय नागरिकों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस्रालइ में लगभग 40,000 भारतीय हैं। अब तक 818 भारतीय नागरिकों को वहां से निकाला गया है।