केरल की सियासी गलियारे में काफी हलचल मची हुई है। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी एम आर अजित कुमार की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक वरिष्ठ नेता के साथ पिछले साल हुई कथित मुलाकात पर विवाद बढ़ता जा रहा है। इसी को लेकर सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के संयोजक टीपी रामकृष्णन ने इस मुलाकात की वजह और मंशा की विस्तृत जांच की मांग की है। माकपा के वरिष्ठ नेता रामकृष्णन का कहना है कि एडीजीपी ने खुद स्वीकार किया था कि उन्होंने दक्षिणपंथी नेता से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि अब सवाल यह उठता है कि आखिर उन्होंने मुलाकात क्यों की? इसके पीछे का मकसद क्या था? इन सवालों की गहराई से जांच होनी चाहिए। यह बताते हुए कि आरोपों की सरकारी स्तर पर जांच पहले से ही की जा रही है, माकपा नेता ने कहा कि जांच में मुद्दे के सभी पहलुओं के सामने आने की उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा कि अगर अधिकारी दोषी पाए गए तो सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करेगी। इस संबंध में एलडीएफ और सरकार का रुख बिल्कुल स्पष्ट है।
एलडीएफ विधायक पीवी अनवर द्वारा कई बार एडीजीपी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए जाने के बारे में पूछे जाने पर माकपा नेता ने कहा, ‘वह (अनवर) माकपा के सदस्य नहीं हैं। अनवर एक विधायक हैं, जो एलडीएफ के साथ सहयोग कर रहे हैं। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में, हम उन्हें उनके स्वतंत्र रुख के खिलाफ कुछ भी नहीं कह सकते या उन्हें एक विशेष तरीके से कार्य करने के लिए नहीं कह सकते।’
हालांकि, नेता ने यह भी कहा कि अनवर को ही जांच करनी चाहिए कि उन्होंने जो किया वह सही था या नहीं। जबकि माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य ए विजयराघवन ने कहा कि मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ऐसे इंसान नहीं है, जो किसी भी तरह के कदाचार का समर्थन करेंगे। आरोपों की जांच चल रही है। उन्होंने मीडिया पर इस मामले पर अनावश्यक विवाद पैदा करने का भी आरोप लगाया।
वरिष्ठ वामपंथी नेता और वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने विवाद को ज्यादा तवज्जो नहीं देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कोई भी यह तय नहीं कर सकता कि अधिकारी को किससे मिलना चाहिए और किससे नहीं। उन्होंने कहा कि एक अधिकारी का लोगों से मिलना सामान्य बात है। हम यह कदम नहीं उठा सकते कि वे किसी से बात नहीं कर सकते। सरकार इस मामले में पहले से ही जांच कर रही है।