प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिम्सटेक को नई गति मिल रही है। इसकी स्थापना भले 1997 में हुई थी लेकिन इस समूह को असली गति 2016 के बाद मिली जब प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में गोवा में ‘लीडर्स रिट्रीट’ के लिए बिम्सटेक देशों को आमंत्रित करने की विशेष पहल की। इसके बाद, उन्होंने इस समूह को मजबूत करने और इसके माध्यम से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग पर व्यक्तिगत और विशेष ध्यान दिया है। 2019 में, उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया। बिम्सटेक समूह अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भारत के नेतृत्व पर निर्भर है। पीएम मोदी के नेतृत्व में पड़ोस पहले नीति, एक्ट ईस्ट नीति, महासागर विजन और हिन्द–प्रशांत के लिए विजन ब्रिक्स समूह को अतिरिक्त गतिशीलता प्रदान करता है। खंडों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें प्रत्येक देश एक का नेतृत्व करता है। भारत सुरक्षा क्षेत्र का नेतृत्व करता है। अन्य क्षेत्र हैं: व्यापार, निवेश और विकास (बांग्लादेश), पर्यावरण और जलवायु (भूटान), कृषि और खाद्य सुरक्षा (म्यांमार), जन–जन के बीच संपर्क (नेपाल), विज्ञान और प्रौद्योगिकी और नवाचार (श्रीलंका), कनेक्टिविटी (थाईलैंड)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति में एक्ट ईस्ट पॉलिसी का हमेशा अहम योगदान रहा है। 1992 में शुरू की गई लुक ईस्ट पॉलिसी का मुख्य ध्यान दक्षिण–पूर्व एशिया क्षेत्र के साथ आर्थिक संबंधों पर था।दुनिया की बदलती गतिशीलता के साथ, प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में भारत की विदेश नीति में एक नया जोश भर दिया। उन्होंने लुक ईस्ट पॉलिसी को और अधिक गतिशील एक्ट ईस्ट पॉलिसी (एईपी) के साथ बदल दिया, जिसमें मजबूत कार्रवाई और परिणामों पर जोर दिया गया। पीएम मोदी ने खुद रिश्ते मजबूत करने के लिए इन पड़ोसी देशों की कई यात्राएं की हैं। इन यात्राओं में सिंगापुर की यात्राओं ने फिनटेक सहयोग मजबूत किया, इंडोनेशिया की उनकी तीन यात्राओं से भारत ने अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग का विस्तार किया।